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Friday, 1 August 2014

पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्रों के बनेंगे आईकार्ड

** स्कूलों में अनियमितता पर लगेगी लगाम, अब बच्चों की सही संख्या की मिल सकेगी जानकारी 
मिड डे मील, छात्रवृत्ति, यूनिफार्म, मुफ्त किताबें जैसी तमाम योजनाएं बच्चों तक आते-आते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती हैं। अब भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के साथ-साथ बच्चों को भी पहचान देने शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए परियोजना में जोर दिया है। मिडल स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अब आईकार्ड जारी किए जाएंगे।  
सर्वशिक्षा अभियान के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के आईकार्ड बनाने के प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गई है। आईकार्ड पर बच्चे का रंगीन फोटो, स्कूल का नाम, कक्षा, पिता का नाम और मोबाइल नंबर अंकित होगा। खास बात यह है कि इस आईकार्ड से केवल बच्चों को पहचान मिल सकेगी बल्कि भ्रष्टाचार के जिन्न को भी काबू करने में मदद मिलेगी। कुछ शिक्षक फर्जी बच्चे दिखाकर अपना खेल खेलते हैं। यूनिफार्म एवं छात्रवृत्ति वितरण में खुलने वाली अनियमितताएं इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। बच्चों की संख्या अधिक दिखाने के चक्कर में स्कूल आने वाले बच्चों के नाम कई साल तक स्कूल के रजिस्टर में चलते रहते हैं। वहीं विभाग के पास भी बच्चों की संख्या का सही आंकड़ा नहीं होता है। वास्तविकता यह है कि इनमें से ज्यादातर बच्चे विद्यालय आते ही नहीं है। ऐसे में भ्रष्ट शिक्षकों पर लगाम लगाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत बच्चों को आईकार्ड जारी करने का निर्णय लिया गया। 
आईकार्ड बनाने के लिए विद्यालयों में कैंप लगाया जाएगा। कैंप में बच्चों का आईकार्ड बनेगा तो बच्चों को स्कूल में उपस्थित भी करना होगा। जितने आईकार्ड बनेंगे उससे प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की सही संख्या का पता भी चल जाएगा। बच्चों को यह आईकार्ड प्रतिदिन अपने साथ स्कूल लाना होगा। जिससे विपरीत परिस्थितियों में अभिभावकों को उस मोबाइल नंबर से तत्काल सूचित किया जा सकेगा।                                             dbhsr

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