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Friday, 8 August 2014

गुरुजी बनना चाह रहे विधायक

** बवानीखेड़ा विधानसभा क्षेत्र से एक अध्यापक कांग्रेस, एक भाजपा और एक बसपा से टिकट पाने के लिए आवेदन कर चुके हैं। 
भिवानी : सरकारी स्कूलों में कार्यरत कुछ अध्यापकों को शायद अपनी सरकारी नौकरी के बजाय नेतागिरी करने में ज्यादा दिलचस्पी है। इसी कारण जिले के पांच अध्यापक इस समय विभिन्न पार्टियों से टिकट पाने के लिए दिन रात एक किए हैं। इनमें से किस मास्टर जी को किसी पार्टी से टिकट मिलता है या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा। मगर ये अध्यापक इन दिनों अपनी अपनी पार्टियों से टिकट पाने के लिए अपने आकाओं के दरबार में चक्कर काट रहे हैं। 
टिकट चाहने वाले इन मास्टरजियों का जिक्र करें तो इनमें तीन गुरुजी बवानी खेड़ा विधानसभा क्षेत्र से टिकट मांग रहे हैं। इनमें एक अध्यापक कांग्रेस, एक भाजपा तो तीसरा बहुजन समाज पार्टी से टिकट पाने के लिए आवेदन कर चुके हैं। इसके अलावा एक अध्यापक बाढड़ा तो दूसरा दादरी विधानसभा क्षेत्र से इनेलो या भाजपा की टिकट पाने की जुगत में लगे हुए हैं। इन मास्टरजियों की एक खास बात यह भी है कि इनमें शामिल एक अध्यापक ने तो पिछले दिनों शिक्षण कार्य को भुलाकर अपना एक मंच भी बना लिया था। 
 मगर अब वे मंच को भूल बवानी खेड़ा हलके से भाजपा की टिकट मांग रहा है। इससे पहले ये मास्टर जी अपने आपको बसपा और हजकां का नेता बता चुके हैं। इसके अलावा इन टिकटों की मांग कर रहे तीन अध्यापकों में से दो तो अध्यापक संघ में अपनी सक्रिय भूमिका भी निभा रहे हैं। इन कारणों से ही उन्हें लग रहा है कि अगर वे किसी पार्टी से टिकट ले आए तो उनकी जीत भी पक्की है।
जिले का रिटायर्ड मास्टर बन चुका सीएम 
अगर जिले के पुराने इतिहास पर नजर डाली जाए तो यहां से रिटायर्ड मास्टर और दादरी निवासी हुकम सिंह विधायक के अलावा प्रदेश के सीएम भी रह चुके हैं। वे इन दिनों दादरी में ही रह रहे हैं। इसके अलावा इस समय लोहारू विस के विधायक धर्मपाल ओबरा भी रिटायर्ड मास्टर हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखा जाए तो लग रहा है कि इस जिले के मास्टरों को नेतागिरी का अच्छा खासा चस्का है। 
शिक्षण बेहतर या नेता 
अक्सर समाज में शिक्षक को सम्मानपूर्वक दर्जा हासिल है। इस बारे में बहुत पहले कबीर जी ने एक संदेश दिया था। गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाए, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाय। इसके माध्यम से उन्होंने बताया था कि गुरु का दर्जा भगवान से बढ़कर है। मगर इन मास्टरजियों को भगवान के दर्जे से बढ़कर नेतागिरी पसंद है। शायद इसी कारण वे अपने शिक्षण कार्य को छोड़कर नेताजी बनने की चाह ज्यादा रख रहे हैं। यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा कि इन मास्टरजियों में से किन-किन को कौन सी पार्टी टिकट देती है और वे विधायक बनते हैं।                           db 

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