जींद : राजकीय स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या रिकॉर्ड में बढ़ाने के लिए फर्जी दाखिले किए जाते थे। इसका खुलासा शिक्षा विभाग द्वारा जांचे गये उचाना खंड के 68 प्राइमरी स्कूलों के रिकॉर्ड में हुआ। इन 68 स्कूलों में 516 विद्यार्थियों के एडमिशन फर्जी मिले। विभाग अब स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए फर्जी दाखिले रखने वाले स्कूल मुखिया, अध्यापकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई कर सकता है।
शिक्षा विभाग के निदेशक द्वारा दिसंबर माह में प्राइमरी स्कूलों में एडमिशन को लेकर सर्वे करने के निर्देश जारी किए थे। इन आदेशों का उद्देश्य स्कूलों में फर्जी एडमिशनों के बारे में पता लगाना था। इसके लिए विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी लगा कर छात्रों के दाखिलों से संबंधित जांच करवाई गई। कई स्कूलों में हालांकि विद्यार्थियों की लंबे समय से हाजिर होने की रिपोर्ट दी गई, लेकिन विभाग इन्हें फर्जी दाखिले मान रहा है।
बताया जाता है कि राजकीय स्कूलों में कई अभिभावक एडमिशन दिला देते हैं। इसके बाद विद्यार्थियों का सिर्फ इस स्कूल में नाम चलता है, जबकि विद्यार्थी पढ़ते दूसरे स्कूलों में हैं। आरोप है कि कई अभिभावक स्कूल मुखियों से मिलकर सरकार की योजनाओं का लाभ लेते रहते हैं।
उचाना के खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी धर्मबीर आर्य का कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा चलाए गये विशेष अभियान में उचाना खंड के प्राइमरी स्कूलों में 516 छात्र-छात्राओंं का नाम हटा दिया गया है।
फर्जी दाखिलों में ये स्कूल रहे आगे
विभागीय सूत्रों के अनुसार फर्जी दाखिले करने में सबसे आगे नचार खेड़ा गांव का प्राइमरी स्कूल रहा, जिसमें 42 दाखिले फर्जी पाए गए। दुर्जनुपर गांव के प्राइमरी स्कूल में 40, छातर, मखंड में 39-39 तथा डूमरखा कलां में 37 दाखिले फर्जी मिले। इसी तरह से अन्य प्राथमिक स्कूलों में भी फर्जी दाखिले कराने का मामला सामने आया है। dt
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.