सोनीपत : शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की तैयारी की जा रही है। इसके अंतर्गत राजकीय स्कूलों में अब ई-लर्निंग व्यवस्था लागू हाेगी। इस व्यवस्था से स्कूलों में ब्लैक बोर्ड की जगह डिजिटल बोर्ड लेंगे। जहां विद्यार्थियों को सवाल तो मिलेंगे ही, उसके जवाब भी उपलब्ध होंगे। स्कूल की दीवारों को भी कार्टून किरदारों से रंगा जाएगा। योजना का लाभ कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थियों को होगा। शिक्षा विभाग इससे पहले स्कूलों में ई-लर्निंग सॉफ्टवेयर लागू करने का निर्णय ले चुका है। स्मार्ट रूम में प्रोजेक्टर के जरिए स्क्रीन पर कार्टून से पढ़ाया जाएगा।
शुरुआत होगी अंतिम से
इस बदलाव की बयार में वे राजकीय स्कूल पहले लाभ उठाएंगे जहां प्राथमिक स्तर पर विद्यार्थियों का प्रदर्शन कोई विशेष उल्लेखनीय नहीं रहा है। ऐसा सीएम मनोहर लाल खट्टर की उस सोच के अंतर्गत हो रहा है जिसमें वे अक्सर कहते हैं कि जहां कोई नहीं पहुंचा और जो अंतिम है शुरुआत वहां से होगी। इसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से इस तरह के स्कूलों की संख्या मांगी गई है।
स्कूलों में स्थापित होगा लर्निंग साफ्टवेयर :
शिक्षा विभाग ने स्कूलों में ई-लर्निंग सॉफ्टवेयर लागू करने का निर्णय लिया है। इस सॉफ्टवेयर के जरिए मल्टी मीडिया से जुड़कर विद्यार्थी एक स्मार्ट रूम में प्रोजेक्टर के जरिए स्क्रीन पर कार्टून देखकर पाठ्यक्रम सीखेंगे। स्कूलों में एजुसेट से विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा।
कई स्कूलों में आज भी ठीक नहीं एजुसेट:
विभाग की ओर से मौलिक शिक्षा को तो आधुनिक बनाने की तैयारी कर ली है, लेकिन अधिकांश राजकीय स्कूलों के एजुसेट सिस्टम अभी भी काम नहीं कर रहे हैं बिजली संकट भी। विभाग की चंडीगढ़ में 12 जनवरी को होने वाली बैठक में इन मुद्दों को रखा जाएगा। db
शुरुआत होगी अंतिम से
इस बदलाव की बयार में वे राजकीय स्कूल पहले लाभ उठाएंगे जहां प्राथमिक स्तर पर विद्यार्थियों का प्रदर्शन कोई विशेष उल्लेखनीय नहीं रहा है। ऐसा सीएम मनोहर लाल खट्टर की उस सोच के अंतर्गत हो रहा है जिसमें वे अक्सर कहते हैं कि जहां कोई नहीं पहुंचा और जो अंतिम है शुरुआत वहां से होगी। इसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से इस तरह के स्कूलों की संख्या मांगी गई है।
स्कूलों में स्थापित होगा लर्निंग साफ्टवेयर :
शिक्षा विभाग ने स्कूलों में ई-लर्निंग सॉफ्टवेयर लागू करने का निर्णय लिया है। इस सॉफ्टवेयर के जरिए मल्टी मीडिया से जुड़कर विद्यार्थी एक स्मार्ट रूम में प्रोजेक्टर के जरिए स्क्रीन पर कार्टून देखकर पाठ्यक्रम सीखेंगे। स्कूलों में एजुसेट से विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा।
कई स्कूलों में आज भी ठीक नहीं एजुसेट:
विभाग की ओर से मौलिक शिक्षा को तो आधुनिक बनाने की तैयारी कर ली है, लेकिन अधिकांश राजकीय स्कूलों के एजुसेट सिस्टम अभी भी काम नहीं कर रहे हैं बिजली संकट भी। विभाग की चंडीगढ़ में 12 जनवरी को होने वाली बैठक में इन मुद्दों को रखा जाएगा। db
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