चंडीगढ़ : प्रदेश में जूनियर बेसिक टीचरों की भर्ती में हुई धांधली के मामले में अब फर्जी अंगूठे के निशान की जांच के लिए फोरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दो माह का समय दिया है। सरकार की तरफ से तीन माह का समय दिए जाने की मांग करते हुए कहा गया कि 6,081 उम्मीदवारों में से 1,600 के अंगूठे के निशान की जांच कर ली गई है। हाईकोर्ट ने दो माह का समय देते हुए दोषी पाए गए उम्मीदवारों पर कार्रवाई की जानकारी मांगी है।
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2011 में 8,341 शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन मांगे थे। इस भर्ती पर सवालिया निशान उठाते हुए याचिका दाखिल की गई थी जिसमें कहा गया था कि पात्रता परीक्षा के अंगूठे के निशान हस्ताक्षरों और चयन परीक्षा के अंगूठे के निशान और हस्ताक्षरों की जांच नहीं की गई है। हजारों उम्मीदवारों ने फर्जी तरीके से इस भर्ती में हिस्सा लिया और नौकरी हासिल कर ली। सरकार ने स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो को अंगूठे के निशान के 7,965 सैंपल जांच के लिए भेजे थे। इनमें से 781 उम्मीदवारों के अंगूठे के निशान फर्जी पाए गए थे।
इसके अलावा 6081 मामलों में अंगूठे के निशान स्पष्ट नहीं थे। हाईकोर्ट ने इस पर सरकार से जवाब मांगा था जिसके जवाब में उन्होंने इन 6,081 मामलों को हस्ताक्षर के मिलान के लिए दोबारा लैब भेजा गया है। इन मामलों में फर्जी पाए जाने वाल उम्मीदवारों का रिकॉर्ड अभी आना बाकी है।
यह है मामला
2011 में शिक्षकों के 8285 पदों पर हुई भर्ती में नियमों की पालना होने और गलत तरीके से शिक्षक बनने वालों की नियुक्ति रद्द करने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया कि शिक्षा बोर्ड ने राज्यस्तरीय अध्यापक पात्रता परीक्षा (स्टेट) का आयोजन किया था। इसके लिए जारी प्रोस्पेक्टस में साफ लिखा था कि परीक्षा की उत्तरपुस्तिका पर अंगूठे के निशान फार्म पर लिए अंगूठे के निशान का मिलान कर ही प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे। बावजूद इसके इस जांच को किए बिना ही प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए। परीक्षा में कई छात्रों ने अपनी जगह दूसरे को बिठाकर परीक्षा पास की। db
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