चंडीगढ़ : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सेवारत रहे कंप्यूटर शिक्षकों के समायोजन को लेकर सरकार बीच का रास्ता तलाशने में जुटी हुई है। शिक्षा विभाग में खाली 3335 पदों के विरुद्ध 2852 शिक्षकों की नियुक्ति करने में कई अड़चनें आ रही हैं। इसलिए ही सरकार किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही। शिक्षकों की नौकरी बचाए रखने के लिए स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज खुल कर पैरवी कर रहे हैं, पिछली बैठक से शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने तो कन्नी काट ली थी, लेकिन विज ने शिक्षकों का पक्ष मजबूती से रखा था।
सरकार खाली पदों के विरुद्ध शिक्षकों की नियुक्ति बिना लिखित परीक्षा, विज्ञापन और साक्षात्कार करने से कतरा रही है। बेशक शिक्षकों ने कंपनियों के अधीन ज्वाइन करते समय सारी प्रक्रिया पूरी की हुई है। अगर सरकार बिना प्रक्रिया पूरी किए इन्हें शिक्षा विभाग में समायोजित करती है तो अन्य विभागों में ठेके पर कार्यरत कर्मचारी भी नियमित पदों के विरुद्ध समायोजन को लेकर मोर्चा खोल देंगे। सर्व कर्मचारी संघ और महासंघ पहले से ही आउटसोर्सिग के तहत कर्मचारियों को रखने के विरोध में हैं और कई बार पक्की भर्ती की मांग उठा चुके हैं। ऐसे में सरकार को निर्णय लेने में दिक्कत आ रही है।
मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. राकेश गुप्ता को सरकार की ओर से शिक्षकों के हित सुरक्षित रखने के लिए अधिकृत किया गया है। डॉ. गुप्ता को ऐसा कोई रास्ता तलाशने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिसमें शिक्षकों को भी नुकसान न पहुंचे और सरकार पर भी आंच न आए।
अब कंप्यूटर शिक्षकों की निगाहें इस सप्ताह होने वाली बैठक पर टिकी हुई हैं। इसमें शिक्षा विभाग के अधिकारियों के भी शामिल होने की उम्मीद है। शिक्षा विभाग से विचार-विमर्श के बाद ही सरकार शिक्षकों की ज्वाइनिंग को लेकर अगले तीन-चार दिन में निर्णय ले सकती है। dj
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