हिसार : सुप्रीमकोर्ट के सरकारी स्कूलों के अध्यापकों को बीएलओ की जिम्मेदारी से मुक्त करने के आदेशों की अवहेलना की जा रही हैं। कोर्ट के फैसले के बाद भी अध्यापक बीएलओ (ब्लॉक लेवल अफसर) का कार्य कर रहे हैं। अध्यापकों की व्यस्तता के चलते स्कूली बच्चों की पढ़ाई भी इससे बाधित हो रही हैं। इस मामले की शिकायत सीएम तक भी पहुंची हैं। सीएम को भेजी गई शिकायत में फरियादी ने कोर्ट के आदेशों को हवाला देते हुए, शिक्षाविदों और निर्वाचन अधिकारियों पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ा हैं।
डायरेक्टर अॉफ एलिमेंटरी एजुकेशन ने 2012 में सभी डीईओ (डिस्ट्रिक एजुकेशन आफिसर) कसे पत्र जारी कर स्कूली समयावधि में अध्यापकों से बीएलओ ड्यूटी ने कराने के लिए आदेश पत्र लिखा था।
जिले में हैं ऐसे 400 अध्यापक
जिले में कुल 560 स्कूल हैं, जिनके करीब 400 अध्यापक बीएलओ की ड्यूटी भी कर रहे हैं। इन्हें कोर्ट के आदेश होने के बाद भी अतिरिक्त जिम्मेदारी निभानी पड़ रही हैं। चुनाव निर्वाचन आयोग के वोटर कार्ड काे अाधार कार्ड से लिंक करने का काम भी ये कर रहे हैं। जबकि कोर्ट ने बीएलओ के काम अध्यापकों की जगह प्रेरकों से लेने के भी निर्देश दिए हुए हैं। अध्यापकों को बीएलओ के कार्यों के लिए प्रतिवर्ष तीन हजार रुपये का अतिरिक्त मेहनताना भी मिलता है। इस हिसाब से तो अगर कोर्ट ने इन्हें बीएलओ की ड्यूटी से मुक्त करने के आदेश दिए हैं तो फिर ऐसा धरातल पर लागू होने पर अतिरिक्त मेहनताना भी बंद हो सकता है।
नियुक्ति पत्र पर नहीं मिलते अधिकारी के हस्ताक्षर
सीएम को भेजी गई शिकायत नंबर cmoff/n/2015/48077 में फरियादी जेबीटी अध्यापक महेंद्र सिंह ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाया हैं। फरियादी का कहना है कि अब उन्हें ड्यूटी अलॉट करते समय शिक्षा अधिकारी अपने हस्ताक्षर नहीं करता। अपनी शिकायत में फरियादी ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर गैर कानूनी ढंग से ड्यूटी करवाने का आरोप लगाया हैं। db
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