नई दिल्ली : दिल्ली के कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है। सोमवार को तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने दिल्ली हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया कि तोमर द्वारा एलएलबी में दाखिला लेने के लिए विश्वविदद्यालय में प्रस्तुत किए गए स्नातक के प्रोविजनल सर्टिफिकेट फर्जी हैं और अवध विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में तोमर नाम से ऐसा कोई सर्टिफिकेट जारी ही नहीं किया गया है।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर की खंडपीठ के समक्ष बिहार स्थित तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के निरीक्षक मनिन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय द्वारा कथित तौर पर जारी किए गए प्रोविजिनल सर्टिफिकेट की जांच की गई जिसमें पता चला है कि तोमर ने 18 मई, 2001 को रजिस्ट्रार राजेंद्र प्रसाद सिंह के हस्ताक्षर से जारी प्रोविजनल सर्टिफिकेट नंबर 3687 को अपना दिखाया है। इसमें तोमर को द्वितीय श्रेणी में पास दिखाया गया है लेकिन अवध विश्वविद्यालय से इस नंबर का प्रमाणपत्र तोमर को नहीं बल्कि 29 जुलाई, 1999 को किसी अन्य संजय कुमार चौधरी को बीए आनर्स राजनीति विज्ञान की परीक्षा के लिए जारी किया गया है। इतना ही नहीं, यह प्रमाणपत्र राजेंद्र प्रसाद के हस्ताक्षर से नहीं बल्कि डॉ. मो. गुलाम मुस्तफा के हस्ताक्षर से जारी किया गया था, जिससे स्पष्ट होता है कि प्रमाणपत्र फर्जी है और जाली हस्ताक्षर से बनाया गया था।
निरीक्षक ने बताया कि तोमर ने खुद को लॉ डिग्री धारक दिखाते हुए बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआइ) से पंजीकृत करवाया और स्वयं को हाई कोर्ट में बतौर अधिवक्ता कार्यरत दिखाया है। यह सब मनगढ़ंत है। उन्होंने कहा कि तोमर को कभी भी प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया।
सुनवाई के दौरान तोमर की तरफ से हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव खोसला व दूसरी तरफ भाजपा नेता नंद किशोर गर्ग के वकील चेतन शर्मा व अन्य ने आवेदन दायर कर मामले में अपना पक्ष रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह मामला काफी गंभीर है और तोमर दिल्ली सरकार में कानून मंत्री हैं। ऐसे में उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
सोमवार को याचिकाकर्ता संतोष कुमार शर्मा अदालत में पेश नहीं हुए। इस पर अदालत ने मामले में अधिवक्ता राज शेखर राव को न्यायमित्र नियुक्त किया। अदालत ने संतोष को नोटिस जारी कर मामले में पेश होने के निर्देश दिए हैं। वहीं, न्यायमित्र मामले में रिपोर्ट तैयार कर अदालत को सौंपेगा।कोर्ट ने मामले में डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से भी जवाब मांगा है। तोमर ने कहा था कि उन्होंने अवध विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक किया है। वहीं, अदालत ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) व बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) को भी अगली सुनवाई 20 अगस्त तक मामले में जांच कर अपनी रिपोर्ट दायर करने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले अदालत में बार काउंसिल के सदस्यों ने बताया कि अवध विश्वविद्यालय से उन्हें यह सूचना मिली है कि जितेंद्र तोमर की स्नातक डिग्री के बारे में विश्वविद्यालय में कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है। तोमर की डिग्री कथित तौर पर फर्जी है। बार काउंसिल ने कहा कि अगर अदालत याचिका वापस लेने की इजाजत देती है तो वह आगे मामले की जांच में उनके रास्ते में नहीं आएंगे।
पेश मामले में, याचिकाकर्ता संतोष कुमार शर्मा का आरोप है कि कानून मंत्री जितेंद्र तोमर ने अवध विश्वविद्यालय से नकली स्नातक की डिग्री के आधार पर भागलपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध विश्वनाथ सिंह इंस्टीटयूट ऑफ लीगल स्टडीज कॉलेज में दाखिला ले लिया था। उन्होंने कहा है कानून की डिग्री लेने के बाद उन्होंने दिल्ली बार काउंसिल में बतौर अधिवक्ता पंजीकरण करवा लिया। उन्होंने आरटीआइ के जवाब में डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय-फैजाबाद के परीक्षा नियंत्रक ने 22 जनवरी, 2015 को पत्र भेज कर स्पष्ट किया है कि तोमर की उपाधि, अंकपत्र एवं अनुक्रमांक पूर्णतया फर्जी हैं। dj
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