शिक्षा विभाग योजनाओं की घोषणा करने में तो समय नहीं लगाता, लेकिन उस पर अमल में विभागीय योजनाओं की हकीकत सामने जाती है। जिसमें ताजा उदाहरण विभाग के प्रधान सचिव टीसी गुप्ता का डायरी सिस्टम लागू करना था। जो चंद दिन ही अपने परवान पर रहा अब स्थिति हाल यह है कि शिक्षकों के पास लिखने के लिए डायरी ही नहीं है। यहां कुछ शिक्षक हैं जो पुरानी डायरी अथवा अपनी खरीद की डायरी लिखकर गंभीरता दिखा रहे हैं, लेकिन ज्यादातर को इंतजार सरकारी डायरी का ही है। विभागीय जानकारी के अनुसार पिछले सत्र स्कूल शिक्षकों पर कार्रवाई का सबब बनी डेली डायरी इस बार स्कूलों में पहुंची भी नहीं है। प्रधान सचिव शिक्षा टीसी गुप्ता ने पिछले वर्ष जोर-शोर से डेली डायरी योजना को शुरू किया और डेली डायरी तैयार करने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई तक के आदेश तक दिए थे।
यह था डायरी लागू करने का उद्देश्य :
इस डायरी में प्रतिदिन का शिक्षक का कार्य और बच्चों को पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम तक की जानकारी देनी थी। इस मामले में शिक्षकों को आदेश दिए गए थे कि वे सुबह आते ही स्कूलों में पहले डायरी तैयार और फिर कार्य शुरू करें। इससे अधिकारियों को आते ही पता चलेगा कि पूरे माह में शिक्षक ने क्या किया है। जिसके बाद स्वयं प्रधान सचिव टीसी गुप्ता ने रोहतक में कई स्कूलों में डेली डायरी तैयार करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई के आदेश दिए थे।
15 दिन बाद भी नहीं पता डायरी के बारे में :
एक अप्रैल से स्कूलों में सत्र शुरू होने के बाद अब आधा माह गुजर चुका है। अभी तक स्कूलों में तो डेली डायरी आई है और कोई जानकारी दी है। शिक्षकों ने कहा कि कोई अधिकारी जांच करता है तो वह कैसे यह जान पाएगा कि शिक्षक ने अभी तक क्या किया है।
लेकिन विद्यार्थी खुश किताबें गई :
इस बार विद्यार्थी खुश है क्योंकि शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में ही प्राथमिक विद्यार्थियों को उनके पाठ्यक्रम की पुस्तकों के लिए अधिक इंतजार नहीं करना पड़ा।
"संबंधित अधिकारियों को इस तथ्य से अवगत करवा दिया गया है, योजना तभी सफल होगी जब शिक्षकों को डायरी मिलेगी। अभी कुछ शिक्षक पुरानी डायरी से काम चला रहे हैं।''-- दिनेशछिक्कारा, प्रवक्ता, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ। dbsnpt
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