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Saturday, 25 April 2015

सरकारी टीचरों और अफसरों पर शिकंजा

** स्कूलों में खराब रिजल्ट पर डाईट और डीईओ होंगे जिम्मेदार
चंडीगढ़ :  सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता का स्तर सुधारने के लिए टीचरों और अफसरों पर शिकंजा कसने जा रहा है। अब तक जेबीटी डिप्लोमा कराने वाली डाईट के टीचर अब न केवल स्कूलों को चेक करेंगे बल्कि जहां टीचरों को ट्रेनिंग की जरूरत होगी, वहां ट्रेनिंग भी देंगे। 
स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव टीसी गुप्ता ने डाईट के सारे प्रिंसिपल और स्टाफ को साफ-साफ निर्देश दे दिए हैं कि उनका काम केवल जेबीटी टीचरों को पढ़ाना ही नहीं है बल्कि यह देखना भी है कि जो जेबीटी टीचर तैयार हुए हैं वे स्कूलों में कैसे पढ़ा रहे हैं। अब डाईट के टीचर जिन स्कूलों में जाएंगे वहां की रिकार्डिंग भी करेंगे। उस रिकार्डिंग को प्रधान सचिव को भेजना होगा। स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है इसलिए उसे सुधारने की बेहद जरूरत है। 
प्रधान सचिव टीसी गुप्ता ने जिला शिक्षा अधिकारियों और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर स्कूलों का रिजल्ट खराब रहा तो उनके साथ-साथ डाईट के प्रिंसिपल भी जिम्मेवार होंगे। अब डाईट को जिला स्तरीय अथॉरिटी बनाने जा रहे हैं। जिला के स्कूलों में गुणवत्तापरक शिक्षा देने के लिए डाईट जिम्मेवार होंगी। प्रधान सचिव अफसरों को भी निर्देश दिए हैं कि वे फील्ड में जाएं और दो स्कूल चेक करें। गुप्ता स्वयं भी दो स्कूल चेक करते हैं। शनिवार को भी वे चेक करेंगे। 
जलियांवाला बाग में होती है पार्टिंयां! 
शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव टीसी गुप्ता ने जब फतेहाबाद जिले के स्कूलों का दौरा किया तो एक स्कूल में लिए गए टेस्ट चेक किए। एक टेस्ट में जलियांवाला बाग का सवाल था। उसके उत्तर में एक विद्यार्थी ने लिखा था कि वहां पार्टियां होती हैं। इस गलत जवाब के बावजूद संबंधित टीचर ने जवाब सही माना हुआ था। गुप्ता उसी टेस्ट को अपने साथ ले आए। अब संबंधित टीचर को सस्पेंड होना तय माना जा रहा है।
शिक्षकों की ग्रेडिंग होनी चाहिए: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शुक्रवार को चंडीगढ़ हरियाणा निवास में शिक्षा में गुणवत्ता सुधार विषय पर राजकीय अध्यापकों की विभिन्न यूनियनों की बैठक में कहा कि शिवालिक और मेवात जैसे विशेष क्षेत्रों में अध्यापकों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार विशेष भत्ता देने पर विचार मंथन कर रही है ताकि अध्यापक वहां नियुक्ति को बोझ न समझ कर पूरी लगन से बच्चों को पढ़ा सकें। उन्होंने कहा कि अध्यापकों की भी ग्रेडिंग होनी चाहिए। बैठक में शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा, विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजयवर्धन, प्रधान सचिव टीसी गुप्ता भी मौजूद थे।
नौवीं में ज्यादा नंबर हैं तो दसवीं में कम क्यों?
प्रधान सचिव टीसी गुप्ता स्कूलों में निचले स्तर पर पर्वितन करने के लिए खुद फील्ड का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने फील्ड चेकिंग के दौरान सवाल पूछा कि जब नौवीं कक्षा के टेस्ट में नंबर यादा होते हैं तो दसवीं कक्षा में कम क्यों आते हैं? यानी नौवीं कक्षा के टेस्टों की चेकिंग सही नहीं होती। अगर सही हो तो शिक्षा स्तर का सही पता चल सकता है। अगर स्तर कम होगा तो शिक्षकों को तैयारी करानी होगी। 
डाईट जिलास्तरीय अथॉरिटी
"हां, डाईट को जिला स्तरीय अथॉरिटी घोषित किया जाएगा। अगर स्कूलों में शिक्षा का स्तर खराब हुआ तो डाईट के प्रिंसिपल और जिला शिक्षा अधिकारी और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी जिम्मेवार होंगे।"-- टीसी गुप्ता, प्रधान सचिव, स्कूल शिक्षा                                                 hb


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