** 2009 में बना नियम एमए पास टीचरों पर लागू करने का विरोध
चंडीगढ़ : हरियाणा राजकीय हिंदी अध्यापक संघ (0069) ने प्रदेश के शिक्षा विभाग के एक फरमान को गलत ठहराते हुए मंगलवार को प्रदेश केराज्यपाल से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा। इससे पहले संघ ने हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा से भी मुलाकात की और उन्हें विभाग के नए आदेश की जानकारी दी। संघ ने स्कूली शिक्षा महानिदेशक एमएल कौशिक को भी ज्ञापन सौंपा है।
संघ के प्रदेश सचिव मदनलाल पाल और प्रदेश प्रवक्ता कृष्ण कुमार निर्माण व राधेश्याम भारतीय ने बताया कि प्रदेश के स्कूलों में हिंदी पढ़ा रहे शिक्षकों की पदोन्नति के लिए बीएड पास होने की शर्त लगा दी गई, जबकि लगभग 3000 हिंदी शिक्षक ऐसे हैं, जिन्हें एमए की शैक्षिक योग्यता पर नौकरी पर रखा गया था। संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि नौकरी में लंबे कार्यकाल के बाद जब शिक्षकों की पदोन्नति का समय आया है तो विभाग ने तुगलकी आदेश लागू कर दिया है। उन्होंने मांग की कि विभाग पदोन्नति में बीएड की शर्त को तुरंत वापस ले। संघ के पदाधिकारियों ने सवाल उठाया कि कोई भी कानून जिस अवधि से लागू होता है, उससे पहले के व्यक्तियों अथवा कार्यों पर लागू नहीं माना जा सकता। लेकिन विभाग ने 2009 में कानून बनाकर उसे पहले से भर्ती शिक्षकों पर भी थोप दिया है। संघ ने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग हरियाणा सीएंडवी हिंदी, संस्कृत, पंजाबी, उर्दू, पीटीआई, ड्राइंग के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है, क्योंकि रूल्स 2012 में जहां लेक्चरार को प्राचार्य पदोन्नति में बीएड से छूट दी गई और सीधी भर्ती में भी बीएड से छूट देकर लगभग 18 हजार प्राध्यापक भर्ती कर लिए गए थे तो 2012 से पूर्व लगे सीएंडवी शिक्षकाें को इससे छूट नहीं देकर उनसे अन्याय किया जा रहा है। au
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