जींद : सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को निर्धारित से काफी कम पीरियड मिल
रहे हैं। पूरे शिक्षा सत्र के दौरान विद्यार्थियों को 270 पीरियड मिलने
चाहिए, लेकिन मिल रहे हैं मात्र 180। इस मामले में जींद के सत्यपाल ने
हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई है। कोर्ट ने कुछ कागजात मांगे हैं। इस पर
अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी। शिक्षा विभाग द्वारा मुख्य विषयों के
साप्ताहिक या मासिक पीरियड्स के निर्धारण में कंजूसी बरतने का काम किया जा
रहा है। देश के सत्र में एनसीईआरटी (नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड
ट्रेनिंग) स्कूली शिक्षा पर अनुसंधान कर कक्षा के अनुसार पाठ्यक्रम तय करती
है। एक शिक्षा सत्र में कक्षावार व विषय के अनुसार पीरियड का निर्धारण
किया जाता है। इसी कार्य में एससीईआरटी (स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च
एंड ट्रेनिंग) राज्य स्तर पर सहयोग करती है।
मासिक टेस्ट से मूल्यांकन
शिक्षा विभाग ने अधिसूचना जारी कर सभी कक्षाओं का सतत मूल्यांकन मासिक
टेस्ट के माध्यम से शुरू कर दिया था। इस कार्य को अमलीजामा पहनाने के लिए
एससीईआरटी गुड़गांव ने कक्षा एक से आठ तक के पाठ्यक्रम का मासिक बंटवारा कर
दिया। साथ में विषयवार मासिक पीरियड भी तय कर दिए गए। इसके अनुसार अप्रैल
में हंिदूी, गणित, अंग्रेजी के लिए 29-29 पीरियड्स की सिफारिश एससीईआरटी ने
की हुई है जबकि विभाग इन विषयों के छह पीरियड्स प्रति सप्ताह यानी एक
पीरियड प्रतिदिन रेशनेलाइजेशन के तहत दे रहा है। ऐसे में अप्रैल में 21
कार्य दिवस थे और छात्रों को इन विषयों के 21-21 ही पीरियड मिले। मई व
जुलाई में इन विषयों के 32-32 पीरियड्स मिलने चाहिए थे, लेकिन दिए गए मात्र
24-24 पीरियड। dj
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