बहादुरगढ़ : कॉलेज में अंग्रेजी बोलकर जूनियर स्टूडेंट्स का मखौल उड़ाना अब सीनियर्स को महंगा पड़ेगा। इतना ही नहीं रंग, जाति, जन्म स्थान, धर्म, आर्थिक पृष्ठभूमि पर भी कमेंट करना अब रैगिंग का हिस्सा बन गया है। रैगिंग रोकने के लिए यूजीसी ने कॉलेजों को सख्त हिदायतें जारी की हैं। यूजीसी ने सभी शिक्षण संस्थानों को निर्देश जारी किए हैं कि वे स्टूडेंट्स के साथ ही उनके पैरेंट्स से भी एक शपथ पत्र लें। इससे अगर कोई छात्र रैगिंग में शामिल पाया जाता है, तो उसके पैरेंट्स को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। रैगिंग अपराध निषेध विनियम 2016 के तहत यह प्रावधान लागू किया गया है। यूजीसी के सचिव प्रोफेसर जसपाल सिंह संधू द्वारा जारी पत्र में कॉलेजों को कहा गया है कि रैगिंग रोकने के लिए वर्कशॉप करें और पोस्टर लगाकर छात्रों को जागरूक करें कि वे रैगिंग में शामिल होने से बचें।
यूनिवर्सिटी अनुदान आयोग के विनियम उच्च शिक्षा संस्थानों में रैगिंग अपराध निषेध 2009 के पैरा 3 के उप शीर्षक रैगिंग कैसे होती है के बाद संशोधित शब्द किसी भी छात्र को नवीन प्रविष्ट या अन्यथा लक्षित करके रंग, धर्म, जाति, जाति मूल, लिंग, लैंगिक प्रवृत्ति, बाह्य स्वरूप, राष्ट्रीयता क्षेत्रीय मूल, भाषा, जन्म, निवास स्थान या आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर शारीरिक मानसिक प्रताड़ना यानी दबंगई का कृत्य माना जाएगा यह जोड़ा गया है। db
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