चंडीगढ़ : सरप्लस गेस्ट टीचर्स को दोबारा नौकरी पर रखने का फैसला हो गया है। यह मामला पिछले कई दिनों से लंबित था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा रखी है जिसके तहत इन सरप्लस गेस्ट टीचर्स को हटाया गया था। मगर सुप्रीम कोर्ट से मिली स्टे के बावजूद ये 3581 सरप्लस गेस्ट टीचर्स अभी तक दोबारा नौकरी पर नहीं रखे गए। शिक्षामंत्री रामबिलास शर्मा के दफ्तर में बुधवार देर शाम हुई बैठक में इन हटाए गए सरप्लस गेस्ट टीचर्स को नौकरी पर रखने का फैसला हुआ।
जानकारी के मुताबिक एडवोकेट जनरल ने पहले अलग राय दी थी मगर बाद में राय दी कि इन्हें रखा जा सकता है। स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने यह राय मांगी थी। मगर जब राय सही नहीं आई तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल, शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा, एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन, एसीएस पीके दास और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर की हुई मीटिंग में फैसला हुआ था कि एडवोकेट जनरल से दोबारा राय ली जाए। दोबारा राय आई कि इन्हें नौकरी पर रखा जा सकता है।
पीके दास ने पूछे थो दो आप्शन
एडवोकेट जनरल की दूसरी राय के बाद एसीएस पीके दास ने शिक्षा मंत्री से पूछा था कि वे दो आप्शन में से बताएं कि किस आप्शन को स्वीकार किया जाना है। पहला आप्शन थी कि इन सरप्लस हटाए गए गेस्ट टीचर्स को नौकरी पर रख लिया जाए। दूसरी राय थी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर लिया जाए। जब यह फाइल शिक्षामंत्री के पास पहुंची तो उन्होंने एसीएस के साथ चर्चा के लिए फाइल रोक ली। बुधवार शाम को शिक्षामंत्री ने पीके दास और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर के साथ मीटिंग की और चर्चा के बाद शिक्षा मंत्री ने पहली आप्शन स्वीकार कर ली। इसमें लिखा है कि इन्हें नौकरी पर रख लिया जाए। यह फाइल अब मुख्यमंत्री के पास मंजूरी के लिए भेजी गई है। चूंकि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर मीटिंग में मौजूद थे, इसलिए इसे मंजूरी मिलना स्वाभाविक है। hb
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