चंडीगढ़ : हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन (हसला) ने स्कूल प्राध्यापकों के साथ किए जा रहे घोर अन्याय के खिलाफ प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने का फैसला किया है। हसला के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष किताब सिंह मोर ने बताया कि आज प्रदेश सरकार के फरमानों से स्कूल प्राध्यापकों को अपमान सहना पड़ रहा है। पहले तो सरकार ने नाम लेक्चरर की बजाय पीजीटी रखा फिर उन्हें नौवीं दसवीं कक्षाएं पढ़ाने के लिए दे दीं फिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों से उनको स्थानांतरित कर उच्च विद्यालयों में हेडमास्टर के नीचे काम करने के लिए लगा दिया। आज उच्च विद्यालय में 6 से 8 तक की कक्षाएं भी स्कूल प्राध्यापकों को दी जा रही हैं। दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली किसी प्रदेश की नहीं हो रही। पदोन्नति के मसले पर भी केवल पांच वर्ष के अनुभव वाला हेडमास्टर प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति पा रहा है जबकि 24 वर्ष के सेवाकाल के प्राध्यापक आज तक प्रधानाचार्य की पदोन्नति से वंचित हैं। चार वषों में वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में सैकड़ों पद मुखिया के खाली के बावजूद आज प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति नहीं दी।हर कैटेगरी के शिक्षकों में पदोन्नति के मात्र 2-2 चैनल खुले हैं।
जबकि स्कूल प्राध्यापकों का केवल एक ही रास्ता प्रिंसिपल का है जहां पर 24 वर्ष के अनुभव वाला प्राध्यापक भी पदोन्नति से वंचित है। वेतनमान के मामले में छठे वेतन आयोग ने शिक्षक वर्ग के सभी कैटेगरी को वेतनमान देते समय 2 स्टेप अप वेतनमान दिया तथा स्कूल प्राध्यापक को कोई स्टेप अप न देकर केवल 4800 रूपये ग्रेड पे दिया गया। यही नहीं वर्ष 2008 के बाद नियुक्त प्राध्यापकों को भी केंद्र के बराबर वेतनमान न देकर 18750 की बजाए 16890 वेतनमान निर्धारित किया। इन सभी यादतियों का विरोध करने के लिए हसला की प्रांतीय कार्यकारिणी ने कठोर फैसला लिया कि जब तक स्कूल प्राध्यापकोें की इन जायज मांगों को नहीं माना जाएगा तब तक हमारा आंदोलन लगातार जारी रहेगा।
हसला की मांग है कि स्कूल प्राध्यापकों का नामकरण पीजीटी के स्थान पर लेक्चरर ही किया जाए। न्रइेयर में वर्ष 2012 के सेवा शिक्षा नियमों के अनुसार केवल 2 प्रकार के स्कूल होने चाहिएं। कक्षा 1 से 8 तक मिडल स्कूल तथा कक्षा 9 से 12 तक सीनियर सैकेंडरी स्कूल। हाई स्कूलों को तुरंत प्रभाव से अपग्रेड या डिमोट कर के समाप्त किया जाए तथा हाई स्कूूल के हेडमास्टर के पद पर पदोन्नति बंद किया जाए व हेडमास्टर के पद को समाप्त किया जाए। स्कूल प्राध्यापकों की वेतन विसंगति दूर करते हुए उन्हें सातवें वेतन आयोग से पहले ग्रेड पे 5400 दिया जाए तथा 2008 के बाद नियुक्त प्राध्यापकों का वेतनमान 16890 के बजाए 18750 निर्धारित किया जाए, कालेज काडर की योग्यता रखने वाले स्कूल प्राध्यापकों का कालेज काडर में पदोन्नति का रास्ता खोला जाए। वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों का नाम कदल कर गवर्नमेंट जूनियर कालेज रखा जाए तथा उन विद्यालयों में उप प्रधानाचार्य का पद भी सृजित किया जाए। प्रिंसिपल के खाली पदों को जल्द पदोन्नति द्वारा भरा जाए। इन मांगों को मनवाने के लिए 5 से 6 अकूबर तक प्रदेश के सभी उपमंडलों में एसडीएम के माध्यम से ज्ञापन सौंपे गए हैं। 14 अक्तूबर को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर जिलाधीशों के माध्यम से धरना प्रदर्शन करके मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिए जाएंगे। 15 अक्तूबर से 5 नवंबर तक प्रदेश के सभी विधायकों, मंत्रियों व संसद सदस्यों को सभी जिलों में ज्ञापन सौंपे जाएंगे तथा 10 नवंबर को प्रदेश के सभी स्कूल प्राध्यापक सामूहिक अवकाश लेकर शिक्षा निदेशालय पंचकूला पर प्रांतीय धरना प्रदर्शन करेंगे। संघर्ष्र की आगामी रूपरेखा 10 नवंबर को धरना स्थल पर घोषित की जाएगी। हसला का आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार द्वारा उक्त मांगों को मान नहीं लिया जाता।
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