यमुनानगर : हरियाणा शिक्षा विभाग मेें कोई फाइल 36 साल से अटकी पड़ी है। यह सुनने में बहुत अटपटा लगता है, लेकिन यह सच है। यमुनानगर की रामपुरा कालोनी में स्थित सरकारी स्कूल में बने दो कमरों व बरामदे को पीडब्ल्यूडी विभाग ने 1980 में असुरक्षित घोषित कर दिया था। विभाग ने स्कूल में पढऩे वाले बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए इस बिल्डिंग को तोड़ने के आदेश शिक्षा विभाग को दिए थे। मगर 36 साल बीतने के बाद भी शिक्षा ने इसे गिराने की जहमत नहीं उठाई। यह बिल्डिंग पूरी तरह जर्जर हो चुकी है और किसी भी समय हादसे का कारण बन सकती है। खास बात यह है कि इस बिल्डिंग के बाद स्कूल में बनी अन्य इमारत को भी पीडब्ल्यूडी विभाग 2012 में असुरक्षित घोषित कर चुका है। यह बिल्डिंग भी अब तक नहीं गिराई गई। इस स्कूल में ग्रउंड नही है, बिल्डिंग तोड़ने के बाद बच्चे इस स्थान को ग्राउंड के रूप में इस्तेमाल कर सकेंगे ।
2 कमरों में पांच कक्षाओं के बच्चे ले रहे शिक्षा
स्कूल के प्रांगण में दो नए कमरे बने हुए हैं। दो कमरों में एक से पांचवी कक्षा तक के करीब 100 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर हैं। कमरों की खस्ताहालत होने पर शिक्षकों को मजबूरन इन बच्चों को दो कमरों में ही बिठाकर शिक्षित करना पड़ रहा है। इसके साथ ही स्कूल में इतनी जगह भी नहीं है कि बच्चों को बाहर खुले में बिठाकर पढ़ाया जा सके।
स्कूल में नहीं है बच्चों के खेलने की जगह
सरकार द्वारा स्कूल में बच्चों केखेलने के लिए खेल का मैदान होना अनिवार्य किया गया है ताकि बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी रूचि लेकर स्वास्थ्य को ठीेक रख सकें। मगर रामपुरा में बने सरकारी स्कूल में जर्जन बिल्डिंग खड़ी है। इसलिए स्कूल में खेल का मैदान नहीं है। बच्चे स्कूल में चाह कर भी खेल नहीं पाते। स्कूल की जर्जर इमारत तोड़ने के बाद इस जगह पर बड़ा प्लेग्राउंड बन सकेगा।
क्या कहते हैें मौलिक शिक्षा अधिकारी
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सुमन आर्य का कहना है कि मैने प्राथमिक व मिडिल स्कूलों के मुखियों की बैठक लेकर स्पष्ट निर्देश दिए थे कि अगर किसी भी स्कूल मेें कोई भवन असुरक्षित है उसकी रिपोर्ट तुरंत कार्यालय में भिजवाएं। इस संबंध में उन्हें प्रोफॉर्मा भी दिया गया था। लेकिन किसी भी स्कूल के मुखिया ने उन्हें प्रोफार्मा भरकर नहीं दिया।
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