करनाल : सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी मिडे-डे मील में सप्ताह के तीन दिन दूध से बने मीठे व्यंजनों का स्वाद चखेंगे। इससे बच्चों का शारीरिक विकास होगा। सरकार ने मिडे-डे मील में मीठी खीर, मीठे चावल राजम चावल तीन नई डिशों शामिल किया है। इसको लेकर विभाग ने सभी डीईईओ कार्यालय को निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही शिक्षा विभाग ने मिडे-डे मील की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों को दूध देने की योजना भी बनाई है। जिसे जल्द ही लागू कर दिया जाएगा।
सरकारी स्कूलों में सुबह अधिकतर बच्चे खाली पेट स्कूल पहुंचते हैं। जो बच्चे स्कूल आने से पहले भोजन करते हैं उन्हें भी दोपहर तक भूख लग आती है और वे अपना ध्यान पढ़ाई में केंद्रित नहीं कर पाते हैं। मध्याह्न भोजन बच्चों के लिए पूरक पोषण के स्रोत और उनके स्वस्थ विकास के रूप में भी कार्य कर करता है। मिडे -डे मील के कारण बच्चों में आपसी प्रेम भी बढ़ता है। मध्याह्न भोजन स्कीम छात्रों के ज्ञानात्मक, भावात्मक और सामाजिक विकास में मदद करती है। यह स्कीम महिलाओं को रोजगार के उपयोगी स्रोत भी प्रदान करती है।
सोमवार मंगलवार को नहीं बनेगी दूध की डिश
डीईईओ सरोज बाला के अनुसार जिले में 490 प्राइमरी ओर 290 अपर प्राइमरी सरकारी स्कूल हैं। इन स्कूलों में लगभग 92 हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं। दूध से बनी डिश सोमवार और मंगलवा काे नहीं बनाई जाएगी। इन दोनों दिनों से अलग तीन दिन दूध से बनी मीठी डिश विद्यार्थियों को दी जाएगी।
पहले मिलती थी 10 अब मिलेंगी 13 डिश
मिड-डे मील में विद्यार्थियों के लिए 10 तरह के व्यंजन दिए जाते थे, लेकिन अब विभाग ने तीन व्यंजन और शामिल कर दिए है। जिनमें सब्जियों का पुलाव, पौष्टिक खिचड़ी, कड़ी पकौड़ा और चावल, मिस्सी रोटी और मौसमी सब्जी, आटे का हलवा और काले चने, रोटी और दाल घीया/कददू, गेहूं सोया पूरी और सब्जी, पोष्टिक दलिया, मीठा पूडा, मीठी खीर, मीठे चावल राजमा चावल शामिल है। एक विद्यार्थी को सुबह 200 एमएल दूध दिया जाएगा। इस योजना को लेकर विभाग ने डीईईओ कार्यालय से बच्चों के लिए बर्तनों की संख्या मांगी हुई है। जल्द ही विभाग द्वारा यह योजना शुरू कर दी जाएगी।
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