चंडीगढ़ : प्रदेश के कर्मचारियों ने प्रदेश सरकार की सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट को सिरे से नकार दिया है। कर्मचारी संगठन सरकार द्वारा की गई वेतन बढ़ोतरी से नाखुश हैं और उन्होंने इसका विरोध करने का फैसला लिया है। आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए बैठक भी बुला ली गई है। सर्व कर्मचारी संघ, हरियाणा ने अपनी केंद्रीय कमेटी की बैठक भी राज्य की गोल्डन जुबली यानी पहली नवंबर को रोहतक में बुलाई है। इसी दिन पीएम नरेंद्र मोदी गुड़गांव की रैली में आएंगे।
कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार ने ढेसी कमेटी की रिपोर्ट के नाम पर उन्हें गुमराह किया है। सभी कर्मचारी संगठनों से सुझाव तो लिए गए, लेकिन उन पर अमल नहीं हुआ। उनका कहना है कि जब सुझावों को स्वीकार ही नहीं करना था तो कमेटी बनाने की औपचारिकता भी क्यों की गई। संघ का आरोप है कि ढेसी कमेटी ने कर्मचारी संगठनों के सुझावों को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है। न तो छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर किया गया है और न ही पंजाब के समान वेतनमान-भत्ते देने के अपने वादे को सरकार ने पूरा किया है।
संघ प्रदेशाध्यक्ष धर्मबीर सिंह फौगाट ने कहा कि पहली नवंबर को होने वाली बैठक में आंदोलन की रणनीति तय होगी। विभिन्न विभागों व केंद्रीय परियोजनाओं में कार्यरत ठेका कर्मचारियों के कुल वेतनमान में 2.57 गुणा बढ़ोतरी की घोषणा न करने, भाजपा द्वारा चुनाव पूर्ण पंजाब के समान वेतनमान न देने और छठे वेतन आयोग की विसंगतियां दूर न करने पर भी कर्मचारियों में कड़ी नाराज़गी है। उन्होंने कहा कि सरकार की सिफारिशों में कुल वेतन में मात्र 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।
संघ ने सुझाव दिया था कि प्रति व्यक्ति आय में केंद्रीय राष्ट्रीय औसत आय से हरियाणा 1.79 गुणा ज्यादा है, इसलिए यह बढ़ोतरी 14 की बजाय 44 प्रतिशत की जानी चाहिए थी और गुणांक फैक्टर 2.57 की बजाय 3.35 किया जाए। उन्होंने बताया कि सिफारिशों में 4440-7440 पे-बैंड में 1350 वे 1400 ग्रेड-पे को 1650 में मर्ज किया है, जबकि केंद्र में 4440-7440 के पे-बैंड को 5200-20200 ग्रेड-पे 1800 को 2.57 से गुणा करते हुए 18 हजार न्यूनतम वेतनमान दिया है। संघ महासचिव सुभाष लाम्बा ने कहा कि पे-बैंड-।। में 3200 की बजाय 4200 और 4440-7440 ग्रेड-पे 1300 की जगह 5200-20200 ग्रेड-पे 1800 जनवरी, 2006 से लागू किया जाना चाहिए था। सिफारिशों में स्पष्टता कम और अस्पष्टता ज्यादा है। इससे पहले वेतन आयोगों में अंतरिम राहत को मूल वेतन में जोड़ा गया है, लेकिन सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में इसमें कटौती की गई है और पुलिस कर्मचारियों को मिल रहा जोखिम भत्ता भी 31 मार्च के बाद नहीं देने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम वेतनमान 24 हजार रुपए होना चाहिए।
एकतरफा सिफारिशें की लागू
लाम्बा के अनुसार संघ ने वेतन वृद्धि की दर सी व डी कर्मचारियों के लिए 6 प्रतिशत करने, अधिकतम-न्यूनतम वेतनमान का अनुपात 1:7 करने, पंजाब के समान वेतनमान देने, नई नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) को बंद करके नए भर्ती हुए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम के दायरे में लाने, कैशलेस मेडिकल सुविधा प्रदान करने आदि सुझाव दिए थे। सरकार ने संघ द्वारा दिए गए तर्कसंगत व न्यायसंगत सुझावों की अनदेखी करते हुए एकतरफा सिफारिशों को लागू करने की घोषणा की है, जिससे कर्मचारियों को कोई खास लाभ नहीं मिला है।
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