शिक्षण के अलावा अन्य कार्यभार सौंपने से प्रदेश के
शिक्षक नाराज हैं। मतदाता सूचियां, चुनावी ड्यूटी व अन्य कार्यो के लिए
सरकार विशेष तौर पर शिक्षकों को ही याद करती है। इसके अलावा अन्य कार्यो की
जिम्मेवारियां भी स्कूली शिक्षक पर अधिक आती हैं। इसी दौरान अगर शिक्षकों
के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू हो जाएं तो स्कूलों में शिक्षकों की हाजिरी
दिखते ही नहीं। शिक्षक संगठन इस कार्य के लिए सरकार से लेकर अदालत का भी
दरवाजा खटखटा चुके हैं लेकिन राहत नहीं मिली। हरियाणा में ग्रामीण शिक्षा
की स्थिति पहले ही बेहतर नहीं है। बोर्ड परिणाम समय-समय पर पूरी कहानी का
बखान कर देते हैं। हालांकि खस्ताहाल परिणाम का एकमात्र कारण तो यह नहीं है
लेकिन शिक्षकों की कम हाजिरी एक कारण तो है। प्रदेश में सैकड़ों स्कूलों
में मात्र एक शिक्षक ही तैनात है, ऐसे में अगर उनकी ही ड्यूटियां लगती हैं
तो स्कूल बंद करने की नौबत आ जाएगी। ऐसे में आवश्यक है कि सरकार तत्काल तौर
पर वैकल्पिक व्यवस्था करे, चूंकि गैर शिक्षण कार्य करवाना भी सरकार की
मजबूरी है और शिक्षा से खिलवाड़ भी स्वीकार्य नहीं है। सरकार के साथ शिक्षक
संगठनों को भी इसमें मदद के लिए आगे आना होगा।
कुछ प्रयास नीतिगत
स्तर पर करने होंगे और कुछ क्रियान्वयन के स्तर पर। एक तो यह सुनिश्चित
करना होगा कि एक शिक्षक वाले स्कूल बिलकुल न छेड़े जाएं। दूसरा, शिक्षकों
के प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्रीष्मकालीन अवकाश या शीतकालीन अवकाश में ही हों।
साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी तरह से पढ़ाई प्रभावित न हो।
ऐसे में आंगनबाड़ी वर्करों और स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से लोगों को
जोड़ शिक्षकों को राहत दी जा सकती है। केवल सुपरवाइजर व प्रभारियों के पदों
पर ही शिक्षकों को तैनात किया जाए। शिक्षक संगठनों का भी सुझाव है कि
सरकार बेरोजगारों को मानदेय दे रही है। उनको 100 घंटे तक रोजगार देने का
वादा कर रही है ऐसे में उनकी भागेदारी ऐसे अभियानों में की जा सकती है। इन
बदलावों से निश्चित तौर पर स्कूलों में छात्रों को राहत मिलेगी। साथ ही
शिक्षक संगठनों को भी आश्वासन देना होगा कि वह शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई
का माहौल बेहतर करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे। पिछले दिनों आए सर्वे
में काफी शिक्षक भी गैरशिक्षण कार्यो में अधिक व्यस्त पाए गए थे। ऐसे में
सुनिश्चित करना होगा कि स्कूल संगठन बदलाव की राह में सरकार को पूरी मदद
करें। क्योंकि हम सही बढ़ेंगे, तभी तो सही ढंग से आगे बढ़ेंगे।
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