शहजादपुर : केंद्र प्रदेश सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया बनाने की दिशा में उठाए जा रहे कदम राजकीय स्कूलों में आकर ठिठक जाते है। स्कूलों में केवल विषयगत शिक्षकों की कमी बनी बच्चों को खल रही है, बल्कि लाखों रुपए के कंप्यूटर बंद लैब में धूल फांक रही हैं। सरकार शिक्षा विभाग द्वारा सकारात्मक कदम तो उठाए गए मगर कुछ ही दिनों में स्कूलों में बच्चों को कंप्यूटर में पारंगत करने की योजना इस कद्र दम तोड़ गई कि आज कई वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में बनाई गई कंप्यूटर लैब में लाखों रुपए के कंप्यूटर तो पड़े हैं। उन्हें आपरेट करने वाला कंप्यूटर शिक्षक होने के कारण स्कूलों में बनी लैब पर जहां ताला लटका रहता हे वहीं बच्चे अभिभावक इस इंतजार में है कि सरकारी स्कूलों में कब कंप्यूटर शिक्षक आए तथा कब बच्चों को इस शिक्षा का लाभ मिले।
राजकीय स्कूलों में शिखा ग्रहण कर रहे बच्चों अभिभावक का कहना है कि जब सरकार शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा देनी ही नहीं थी तो फिर स्कूल में कंप्यूटर लैब खोलने के साथ-साथ इसमें लाखों का सामान रखने की क्या आवश्यकता थी। राजकीय स्कूलों में अधिकांश वह ही बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जो निजी स्कूलों का खर्च अदा करने में असमर्थ पाते हैं।
"एक निजी कंपनी का 2016 में टेंडर समाप्त हो गया था, अधिकांश कंप्यूटर कंपनी के थे वो उन्हें स्कूलों में से उठाकर अपने साथ ले गई, विभाग के कंप्यूटर अभी भी स्कूलों में पड़े हैं। शिक्षा विभाग द्वारा सरकार को कंपयूटर लैब शिक्षकों की मांग कई बार सरकार को लिखकर भेजी गई है।"-- सतपाल कौशिक, बीईओ शहजादपुर।
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