कुरुक्षेत्र : प्रदेश के विश्वविद्यालयों में कार्यरत अस्सिटेंट स्तर के कर्मचारियों को 3600 का ग्रेड पे देने के मामले में उच्च न्यायालय ने उच्च शिक्षा विभाग को दो सप्ताह में फैसला करके न्यायालय में आकर पूरी जानकारी देने के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने कहा है कि अगर फैसला नहीं होता है तो उच्च शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव न्यायालय में आकर जबाब दें। न्यायालय ने 3 नवम्बर को अगली तारीख निर्धारित की है। पिछले काफी समय से प्रदेश के विश्वविद्यालयों में कार्यरत अस्सिटेंट स्तर के कर्मचारी 3600 ग्रेड पे के मामले में उलझे हुए हैं।
हरियाणा सचिवालय स्तर पर यह ग्रेड पे प्रदेश के विश्वविद्यालयों में 1986 में लागू हो गया था। यह ग्रेड पे सचिवालय के कर्मचारियों के लिए था। वर्ष 2014 में प्रदेश सरकार और उच्च शिक्षा विभाग की ओर से विश्वविद्यालय के ग्रेड पे को राज्य के कार्यालयों में कार्य कर रहे कर्मचारियों की तर्ज पर इस ग्रेड पे को बदलकर 3200 करने के आदेश जारी कर दिए थे। साथ ही कर्मचारियों से रिकवरी करने की बात भी चली थी। कर्मचारी इस मामले में उच्च न्यायालय में चले गए थे। उच्च न्यायालय ने पहले दिए ग्रेड पे की रिकवरी के मामले में स्थगन आदेश दिए थे, लेकिन पिछली कई तारीखों से उच्च शिक्षा विभाग हर बार समय मांगता रहा। 5 अक्तूबर को उच्च न्यायालय ने उच्च शिक्षा विभाग को इस मामले में जल्द फैसला करने के आदेश दिए थे। जिस पर उच्च शिक्षा विभाग की ओर से दो सप्ताह का समय मांगा था।
न्यायालय ने साफ कर दिया कि या तो शिक्षा विभाग दो सप्ताह में इस मामले में निर्णय ले और यदि ऐसा नहीं होता है तो अगली तारीख को न्यायालय में प्रधान सचिव शिक्षा विभाग उपस्थित हों। याचिकाकर्ता देवेन्द्र सचदेवा ने बताया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की ओर से सेवानिवृत्त कर्मियों से प्रति कर्मचारी 50 हजार रुपये भी रोके गए थे। न्यायालय के आदेश के बाद विश्वविद्यालय की ओर से कर्मियों के पैसे वापस दे दिए गए थे। न्यायालय ने रिकवरी पर भी स्थगन आदेश दिए हैं।
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