नई दिल्ली : स्कूलों में लागू नो डिटेंशन पॉलिसी (कक्षा 8 तक फेल न करने की
नीति) से जल्द छुटकारा मिलने की उम्मीद है। उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री
मनीष सिसोदिया ने मंगलवार सुबह ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने
बताया कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से वीडियो कांफ्रेंसिंग
के जरिये इस मुद्दे पर चर्चा हुई है।
केंद्रीय मंत्री की अध्यक्षता में 25
अक्टूबर को देशभर के शिक्षा मंत्रियों की होने वाली बैठक में इस मुद्दे को
रखा जाएगा। बैठक में ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है।
सिसोदिया ने बताया कि विधानसभा ने एक साल पहले ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ खत्म
करने का बिल पास करके केंद्र सरकार के पास भेज दिया था। अभी तक इस पर
केंद्र की ओर से मुहर नहीं लगी है। उल्लेखनीय है कि कम से कम 18 राज्य
स्कूलों में नो डिटेंशन पॉलिसी में बदलाव के लिए तैयार हैं।
क्या है नो
डिटेंशन पॉलिसी
नो डिटेंशन पॉलिसी शिक्षा के अधिकार अधिनियम (2009) का अहम
हिस्सा है। यह अधिनियम 6 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चो के लिए मुफ्त और
अनिवार्य शिक्षा की बात करता है। इसमें एक प्रावधान यह भी है कि बच्चों को
आठवीं तक किसी कक्षा में अनुत्तीर्ण नहीं किया जाए। अगर किसी छात्र के अंक
कम हैं तो उसे पासिंग ग्रेड देकर अगली कक्षा में भेज दिया जाए।
इस
पॉलिसी का मुख्य मकसद यह था कि छात्रों की सफलता का मूल्यांकन केवल उसके
द्वारा परीक्षा में प्राप्त अंकों से न किया जाए बल्कि उसके सर्वागीण विकास
को ध्यान में रखा जाए। इसे पूर्व की कांग्रेस सरकार ने लागू कराया था,
लेकिन इसके लागू होने के कुछ ही वर्षो में शिकायत मिलने लगी कि बच्चो में
कक्षा के अनुकूल जानकारी नहीं है। उनके सीखने के स्तर में लगातार गिरावट आ
रही है।
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