नई दिल्ली : डीयू, जेएनयू सहित राजधानी के अन्य विश्वविद्यालयों के
शिक्षकों ने वेतन विसंगति, पदोन्नति, नियुक्ति सहित अन्य मामलों को लेकर
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के बाहर प्रदर्शन किया। शिक्षकों ने एक
ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें मांगों पर गौर करने और जल्द से जल्द इसका
निस्तारण करने की बात कही गई। शिक्षक मांगों को लेकर कुछ माह से प्रदर्शन
कर रहे हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ की अध्यक्ष नंदिता नारायण ने
कहा कि यूजीसी और सरकार लगातार शिक्षकों की उपेक्षा कर रही है। कई ऐसे
निर्णय लिए गए हैं जो शिक्षा के निजीकरण की तरफ इशारा करते हैं। सरकार
पदोन्नति, नियुक्ति और वेतन विसंगति की मांग के बाद भी ध्यान नहीं दे रही
है।
एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट के अध्यक्ष डॉ. आदित्य नारायण मिश्र
ने कहा कि यह सरकार पूंजीपतियों की सरकार है। तदर्थ शिक्षकों से
विश्वविद्यालय चल रहे हैं, लेकिन उनकी स्थायी नियुक्ति का कोई प्रावधान
शुरू नहीं किया गया है। केंद्र सरकार ने एक फीसद महंगाई भत्ता बढ़ाया है,
यह शिक्षकों के हित में नहीं है।
नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के
अध्यक्ष प्रो. एके भागी ने कहा कि शिक्षकों की मांगों को लेकर मानव संसाधन
विकास मंत्री के साथ बैठक हुई है और उन्होंने समस्याओं का संज्ञान लिया है।
शिक्षकों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र भी उन्हें सौंपा गया है। जामिया टीचर्स
एसोसिएशन के महासचिव एसएम महमूद का कहना है कि पेंशन, पदोन्नति तो दूर
शिक्षकों के अन्य हितों पर भी सरकार ध्यान नहीं दे रही है। सातवें वेतन
आयोग में की गई बढ़ोतरी भी मामूली है।
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