नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में कॉलेजों में अध्यापन कार्य
में जुटे शिक्षक भी एमफिल, पीएचडी में गाइड (सुपरवाइजर) बन सकेंगे।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्देशों व शिक्षकों के सुझाव पर
अमल करते हुए डीयू ने एमफिल-पीएचडी के लिए नए नियम निर्धारित किए हैं। इसके
मुताबिक कॉलेज में दो साल शिक्षण व रिसर्च कार्य का अनुभव रखने वाले
शिक्षकों को एमफिल/पीएचडी गाइड बनने का अवसर मिलेगा। विश्वविद्यालय के इस
कदम से रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा।
विद्वत परिषद के सदस्य डॉ. आरएन दुबे ने बताया कि पूर्व में निर्धारित
नियम के अंतर्गत कॉलेज शिक्षक को इस काम के लिए तीन साल का अध्यापन का
अनुभव और एक बड़े रिसर्च प्रोजेक्ट से जुड़ा होना जरूरी था, लेकिन अब ऐसा
नहीं है। डॉ. दुबे ने कहा कि उन्होंने अपने संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स
फ्रंट (एनडीटीएफ) की ओर से कुलपति को मांगपत्र सौंपा, जिसमें कॉलेज
शिक्षकों के लिए नियमों में बदलाव की बात थी। कुलपति ने उनकी मांग को
स्वीकार कर लिया। नए नियमों के लागू होने से कॉलेजों के चार हजार शिक्षकों
के लिए रिसर्च गाइड बनने का मार्ग प्रशस्त होगा।
एनडीटीएफ के अध्यक्ष एके भागी कहते हैं कि पहले कॉलेज शिक्षक तभी
पीएचडी करा सकता था, जब वो खुद पीएचडी हो और कम से कम तीन साल अध्यापन /
रिसर्च का अनुभव रखता हो। अगस्त 2015 में नियमों में बदलाव किया गया और
कॉलेज शिक्षकों के लिए तीन साल के अध्यापन और किसी एक बड़े प्रोजेक्ट की
अनिवार्यता लागू कर दी गई थी।
विभाग को करना होगा सूचित
डीयू की ओर से तैयार नए नियमों में कहा गया है कि कॉलेज शिक्षक
विद्यार्थियों को एमफिल/ पीएचडी करा सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें अपना
बायोडाटा विभाग को सौंपना होगा। इसके माध्यम से वे विभाग को सूचित करेंगे
कि एमफिल / पीएचडी गाइड की भूमिका निभाने को तैयार हैं। विभाग में अब
शिक्षक तीन विद्यार्थियों को ही एमफिल करा सकेगा। इसी तरह सहायक प्रोफेसर
चार छात्रों को पीएचडी, एसोसिएट प्रोफेसर छह और प्रोफेसर आठ विद्यार्थियों
को पीएचडी करा सकते हैं।
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