नई दिल्ली : स्कूलों में तीन भाषा फार्मूले के तहत छात्रों को पहले से पढ़
रहे विषय को नहीं छोड़ना होगा। इस फार्मूले के तहत भारतीय भाषाओं की
अनिवार्यता को सातवीं कक्षा से ही लागू किया जाएगा। इसके बाद की कक्षा के
छात्र पहले से पढ़ रहे विषयों को दसवीं तक पढ़ सकेंगे। इसी तरह संस्कृत
पढ़ने की भी अनिवार्यता नहीं होगी।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय के
सूत्र कहते हैं कि तीन भाषा फार्मूले को अगले सत्र से लागू करने पर तो
सरकार दृढ़संकल्प है ही, लेकिन यह भी ध्यान रखने को कहा गया है कि इससे
छात्रों को कोई समस्या नहीं हो। ऐसे में सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा
बोर्ड) के तहत आने वाले स्कूलों में फ्रेंच या जर्मन आदि विषयों को पहले
से पढ़ रहे छात्र अब दसवीं तक उसकी पढ़ाई कर सकेंगे। इससे स्कूलों को नए
विषयों के अध्यापक तलाशने और रखने के लिए भी समय मिल सकेगा।
दसवीं तक तीन
भाषा का फार्मूला अनिवार्य होगा, लेकिन इसके तहत संस्कृत अनिवार्य नहीं
होगी। इसकी जगह कोई छात्र चाहे तो अपनी क्षेत्रीय भाषा भी चुन सकता है।
संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत शामिल सभी भाषाओं को इसके तहत शामिल किया
गया है। इसके बाद भी अगर कोई छात्र फ्रेंच या जर्मन आदि विदेशी भाषाएं
पढ़ना चाहता है तो अतिरिक्त विषय के तौर पर उसे पढ़ सकता है। तमिलनाडु और
पुडुचेरी को छोड़ कर देशभर में यह फार्मूला लागू होगा।
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