** हाईकोर्ट ने खारिज की मांग, सरकार का जवाब-चेयरमैन,सदस्यों की नियुक्ति सही
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 20 हजार शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा फाइनल रिजल्ट घोषित करने पर लगाई गई रोक हटाने से इनकार कर दिया है। ये भर्ती स्कूल टीचर सिलेक्शन बोर्ड कर रहा है। सोमवार को प्रदेश सरकार ने रिजल्ट घोषित करने पर लगी रोक हटाने की मांग की लेकिन चीफ जस्टिस संजय किशन कौल एवं जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने इसे स्वीकार नहीं किया। इससे पहले प्रदेश सरकार ने कोर्ट में कहा कि बोर्ड चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति सही ढंग से की गई है इसलिए बोर्ड को भर्ती प्रक्रिया पूरी करने की छूट दी जाए।
पिंजौर के विजय बंसल की तरफ से दायर याचिका में स्कूल टीचर सिलेक्शन बोर्ड को खारिज करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि इस बोर्ड का गठन अनुचित ढंग से किया गया है इसलिए उसे खारिज करते हुए की जाने वाली सभी भर्तियों पर रोक लगाई जाए।
याचिका में कहा गया कि स्कूल टीचर सिलेक्शन बोर्ड के चेयरमैन नंदलाल पूनियां मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी रिश्तेदार हैं जबकि बोर्ड के सदस्य जगदीश प्रसाद मुख्य संसदीय सचिव राव दान सिंह के भाई हैं। वहीं एक अन्य सदस्य त्रिभुवन प्रसाद बोस मुख्यमंत्री के बेटे के टीचर रहे हैं। याचिका के अनुसार, चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने नियमों को ताक पर रखते हुए बोर्ड चेयरमैन व सदस्यों की रिटायरमेंट ऐज भी 72 साल कर दी जबकि हाईकोर्ट इस मामले में पहले ही कह चुका है कि रिटायरमेंट ऐज 60 से बढ़ाकर 70 और फिर 72 साल करने के लिए कोई कारण नहीं दिया गया।
याचिका में बोर्ड चेयरमैन व सदस्य नियुक्त करने वाले पैनल पर भी सवाल उठाया गया। याची ने कहा कि नियुक्तियां करने वालों में प्रदेश की तत्कालीन मुख्य सचिव उर्वशी गुलाटी शामिल थीं जिन्हें बाद में सरकार ने राज्य सूचना आयुक्त बना दिया। पैनल में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव व कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी (केयू) के वीसी डीपीएस संधू भी थे जो मुख्यमंत्री के सहपाठी रहे हैं। ऐसे में इनसे सही चयन की उम्मीद करना संभव नहीं है।
याचिका मेंं कहा गया कि स्कूल टीचर सिलेक्शन बोर्ड में इस समय 20 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। पारदर्शिता रखने के लिए स्कूल टीचर सिलेक्शन बोर्ड को खारिज कर ये भर्ती हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) के जरिए कराई जाए। इस पर हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया का रिजल्ट घोषित करने पर लगाई गई रोक जारी रखने के निर्देश दिए।
सोमवार को हाईकोर्ट में बोर्ड चेयरमैन नंदलाल पूनिया और सदस्य त्रिभुवन प्रसाद बोस, ज्ञान चंद सहोता, जगदीश प्रसाद व डॉ. एस महाजन की ओर से जवाब दायर कर कहा गया कि उनकी नियुक्तियां सही ढंग से की गई है। इनकी ओर से कहा गया कि नियुक्तियों के लिए राज्य सरकार ने मुख्य सचिव, केयू के वीसी व स्कूली शिक्षा विभाग के वित्त आयुक्त का कॉलेजियम बनाया था। इस कॉलेजियम ने नाम फाइनल कर उनकी सिफारिश मुख्यमंत्री से सिफारिश की थी। ऐसे में नियुक्ति में पारदर्शिता न रखे जाने और भेदभाव के आरोप निराधार हैं। ..DB
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