कैथल : शिक्षा विभाग द्वारा राजकीय स्कूलों में लागू की जा रही रेशनेलाइजेशन ने अध्यापकों की सांसे फुला दी है। स्कूलों में अध्यापकों व प्राध्यापकों की सीट खाली पड़ी हैं लेकिन विभाग रेशनेलाइजेशन में जुटा है। अध्यापक नेताओं का कहना है कि सरकार जानबूझकर समीक्षा के नाम पर अध्यापकों को परेशान कर रही है। आरटीइ के अनुसार प्राथमिक स्कूलों में 1:30 और अपर स्तर के स्कूलों में 1:35 अध्यापक छात्र अनुपात होना चाहिए लेकिन ऐसा नजर आ रहा है कि विभाग अनुपात को बढ़ा सकता है। अब तक शिक्षा विभाग रेशनेलाइजेशन की दो बार लिस्ट बना चुका है लेकिन अभी तक भी लिस्ट फाइनल नहीं हुई है। अध्यापकों को अब स्थानांतरण का भय सता रहा है। रेशनेलाइजेशन के अनुसार जहां बच्चे कम और अध्यापक अधिक हैं तो वहां से अध्यापकों का स्थानांतरण होना तय है। राजकीय प्राथमिक अध्यापक संघ के जिला प्रधान रोशन लाल पंवार ने कहा कि यदि विभाग रेशनेलाइजेशन करना चाहता है तो वह शिक्षा का अधिकार नियम के अनुसार होना चाहिए। विभाग को चाहिए कि प्रत्येक स्कूल में हेड टीचर की पोस्ट बनाए ताकि स्कूल का अनुशासन व माहौल ठीक तरह से चल सके। इसके अलावा छोटे स्कूल में न्यूनतम दो अध्यापक होने चाहिए। यदि एक अध्यापक छुट्टी या काम पर चला जाए तो दूसरा अध्यापक काम संभाल सके। ..dj
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