हिसार : शिक्षा विभाग की ओर से रेशनेलाइजेशन नीति के तहत की जा रही काउंसिलिंग दूसरे दिन सिरे नहीं चढ़ पाई। जहाजपुल स्थित स्कूल में होने वाली इस काउिंसलिंग में छात्र संख्या के आधार पर सरप्लस हुए स्कूल खेल प्रशिक्षकों (पीटीआई) को बुलाया गया था। पहले दिन की काउंसिलिंग से संतुष्ट अधिकारी भी पूरी तैयारी के साथ आए थे। लेकिन कोई भी प्रशिक्षक काउंसिलिंग के लिए उपस्थित नहीं हुआ। अधिकारी दिन भर प्रशिक्षकों का इंतजार करते रहे। प्रशिक्षकों ने उन्हें ज्ञापन सौंपते हुए काउंसलिंग में हिस्सा लेने के लिए साफ तौर पर मना कर दिया। उनके विरोध को देखते हुए अधिकारियों को उन्हें बिना काउंसलिंग के ही वापस लौटना पड़ा।
मौलिक शिक्षा विभाग की ओर से की जा रही रेशनेलाइजेशन में पहली बार 28 महिला खेल प्रशिक्षकों सहित 92 पीटीआई छात्र संख्या के आधार पर सरप्लस किए गए हैं। यह संख्या जिले भर के सभी पीटीआई की लगभग आधी है। ऐसे में लगभग हर दो स्कूलों से एक पीटीआई को दूसरे स्थानों पर तबादला किया जा रहा है। पीटीआई में इसी बात का विरोध था। इसलिए उन्होंने पहले ही काउंसलिंग का बहिष्कार करने की चेतावनी दी थी। उनके पक्ष में हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ ने भी समर्थन दिया था। हालांकि विभाग की ओर से गत दिवस के अनुभव को देखते हुए पहले ही भारी पुलिस बुलाई गई थी, लेकिन प्रशिक्षक बिना किसी विरोध के बाहर ही धरने पर बैठ गए।
काउंसिलिंग होती तो जिले से बाहर जाते पीटीआई
विभाग की ओर से 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों से पीटीआई की पोस्ट को हटाया गया है। वहीं एक हजार से कम संख्या वाले स्कूलों में भी पीटीआई को हटाकर केवल डीपीई की पोस्ट रखी गई है। इस स्थिति में नाममात्र के स्कूलों में ही पीटीआई का पद रह गया है। जबकि इस नीति के तहत की गई रेशनेलाइजेशन में 92 पीटीआई सरप्लस किए गए हैं। इसलिए सरप्लस होने वाले अधिकतर प्रशिक्षकों को न केवल अपना स्कूल छोडऩा पड़ेगा, वहीं जिले में पद खाली न होने के कारण उन्हें जिले से बाहर भी भेजा जा सकता है।
खेल नीति पर भी उठाए सवाल
काउंसलिंग के दौरान धरने का संबोधित करते हुए स्कूल खेल प्रशिक्षक संघ के प्रधान संजीव आर्य ने विभाग की खेल नीति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि एक तरफ से मुख्यमंत्री खेल नीति को बढ़ावा दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर स्कूलों से खेल प्रशिक्षकों के पदों को हटाया जा रहा है। अगर स्कूलों में पीटीआई ही नहीं होंगे तो विभाग की स्पैट जैसी योजना सफल ही नहीं हो पाएगी। इसलिए विभाग को रेशनेलाइजेशन नीति में सुधार करने होंगे। वहीं राजकीय अध्यापक संघ के प्रधान सुरेंद्र सैनी ने भी उनकी इस बात का समर्थन करते हुए रेशनेलाइजेशन के विरोध में नारेबाजी की।..db
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