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Friday, 23 August 2013

लेक्चररों से प्रिंसिपल प्रमोशन में सीनियोरिटी ताक पर

चंडीगढ़ : तमाम कोशिशों के बावजूद विवादों से शिक्षा विभाग का पीछा नहीं छूट रहा। ताजा विवाद लेक्चरर से प्रमोट किए प्रिंसिपल को लेकर उठा है। इस प्रमोशन में भेदभाव और सीनियोरिटी को ताक पर रखने का आरोप लगाया जा रहा है। बड़ी संख्या में जहां सीनियर प्रमोशन से वंचित रह गए वहीं कई जूनियर प्रमोट हो गए।
129 लेक्चरर होने थे प्रमोट, किए सिर्फ 58 किसी की एसीआर गुम तो किसी की औपचारिकता पूरी नहीं 
अब सीनियर लेक्चररों ने जांच की मांग उठाई है।शिक्षा विभाग में 129 लेक्चररों को प्रमोट कर प्रिंसिपल बनाया जाना था लेकिन विभाग ने केवल 58 को प्रमोट किया। शिक्षा मंत्री भी मान रही हैं कि कुछ दिक्कत आई लेकिन वे कहती हैं कि कई लेक्चररों का प्रमोशन इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि अभी तक उनकी एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट (एसीआर) ही नहीं आई। जब तक एसीआर नहीं आती, विभाग प्रमोशन नहीं दे सकता। 
दूसरी ओर प्रमोशन से वंचित रहने वाले केंडिडेट्स का कहना है कि एसीआर लेकर आना उनका काम नहीं है। यदि वे किसी भी स्तर पर पूछताछ करते हैं तो उन्हें सही जवाब नहीं दिया जा रहा है। 
हम तो एसीआर भेजने की रिसिप्ट लेकर आए हैं :
प्रमोशन से वंचित रहे एक केंडिडेट ने बताया कि डीइओ ऑफिस से जिस डायरी नंबर के तहत उनकी एसीआर भेजी गई, वह वो नंबर लेकर एजुकेशन डायरेक्टोरेट गए। इसके बावजूद उनकी एसीआर फाइल नहीं मिल रही। इस स्थिति में क्या किया जा सकता है क्योंकि शिक्षा विभाग का कोई अधिकारी सहयोग नहीं कर रहा। 
यदि और शिकायतें आईं तो जांच कमेटी बना देंगे : भुक्कल 
शिक्षामंत्री गीता भुक्कल का कहना है कि एक आध शिकायत मिली थी जिसे दूर कर दिया गया। यदि और शिकायतें आई तो विभाग कमेटी बना देगा। शिक्षामंत्री का कहना था कि प्रमोशन नियमों के अनुसार हुई है। कुछ मामलों में अगर पदोन्नति नहीं हुई तो इसकी वजह एसीआर न आना या कोई जांच वगैरह पेंडिंग रहना हो सकता है। भुक्कल ने माना कि एसीआर भेजना विभाग का काम होता है लेकिन उन्होंने ये भी जोड़ा कि संबंधित लेक्चरर को भी इसका ख्याल रखना चाहिए। ताकि विभाग को भी उससे किसी प्रकार की असुविधा न हो। 
इस तरह हुई गड़बड़ी 
उदाहरण के लिए अगर 479 को प्रमोशन दिया तो इसके अगले नंबर को छोड़कर सीधे 481 नंबर को प्रमोट कर दिया गया। इसी तरह 485 के बाद सीधे 488 को प्रमोट किया गया। बीच के नंबर गायब हैं। केंडिडेट्स का कहना है कि यह कोई परीक्षा परिणाम नहीं हैं, बल्कि प्रमोशन केस है। ऐसे में सभी डॉक्यूमेंट पूरे करने के बाद ही सिनियोरिटी के हिसाब से ही प्रमोशन देना चाहिए था। 
गड़बड़ी का लगाया आरोप 
प्रमोशन से वंचित रह गए लेक्चररों का कहना है कि कहीं कुछ गड़बड़ी हैं क्योंकि इतने बड़े स्तर पर एसीआर फाइलें गायब नहीं हो सकतीं। उनकी मांग मांग है कि मामले की जांच होनी चाहिए क्योंकि फाइलें डायरेक्टोरेट से गायब हुई हैं। इस बात का पता लगना चाहिए कि जब हर स्तर पर फाइल की एंट्री होती है तो फिर वे गायब कैसे हुईं? इसके लिए संबंधित कर्मी की भी जिम्मेदारी फिक्स होनी चाहिए।  ..db





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