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Monday, 26 August 2013

ग्रेजुएशन में तीनों साल एक ही रोल न:


**विश्वविद्यालयों में सेमेस्टर सिस्टम के चलते काम का बोझ होगा कम, विद्यार्थियों को भी राहत 
करनाल : कॉलेज में पढऩे वाले विद्यार्थियों के लिए एक ही रोल नंबर पर तीनों साल पढ़ाई व पेपर देने की व्यवस्था होने जा रही है। विश्वविद्यालय स्तर पर इस तरह के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। प्रयास सफल रहे तो इस व्यवस्था से विद्यार्थियों को विशेष फायदा होगा। 
विश्वविद्यालयों में जब से सेमेस्टर सिस्टम लागू हुआ है तब से परीक्षाओं का बोझ और बढ़ गया है। परीक्षार्थियों के रोल नंबर जारी करने के लिए विश्वविद्यालय को अधिक समय पर ज्यादा मैनपावर लगानी पड़ती है। विश्वविद्यालय का बहुत सा समय इसी तरह की व्यवस्थाओं में नष्ट हो जाता है। इसी के मद्देनजर ऐसी व्यवस्थाओं पर विचार किया गया है, जिससे काम भी हो जाए और समय व एनर्जी भी अधिक न खर्च करनी पड़े। इसी विकल्प के तौर पर कॉलेजों के द्वारा विद्यार्थियों को एक ही ऐसा रोल नंबर जारी कराने पर विचार किया गया है, जिससे तीनों वर्षों में छहों सेमेस्टर में विद्यार्थी एक ही रोल नंबर पर अपनी परीक्षाएं दे सकें। 
हर समेस्टर में नहीं भरने पड़ेंगे फार्म : 
कॉलेजों द्वारा रोल नंबर के लिए प्रत्येक सेमेस्टर में फार्म भरकर विश्वविद्यालय को नहीं भेजने पड़ेंगे। इससे कॉलेज के साथ-साथ विश्वविद्यालय को डाटा एंट्री व रोल नंबर जारी करने की बार-बार कसरत नहीं करनी पड़ेगी।
अगले सत्र से शुरूआत
एक ही रोल नंबर पर तीनों साल विद्यार्थी अपनी परीक्षाएं देंगे यह व्यवस्था अगले सेशन से लागू हो सकती है। आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय की तरफ से इस संदर्भ में पत्र जारी करने की संभावना है। इस पत्र के जारी होने के बाद भी व्यवस्था के अंतिम स्वरूप का पता चल पाएगा। वहीं विद्यार्थियों को रोल नंबर का इंतजार व देरी जैसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। विद्यार्थी अपना पूरा ध्यान परीक्षा की तैयारी पर ही लगा सकेंगे।
"विश्वविद्यालय एक ही रोल नंबर पर तीनों साल छहों सेमेस्टर की परीक्षा संचालित कराने की व्यवस्था लागू करने के प्रयास कर रहा है।"-- डॉ. महाबीर नैन, प्रिंसिपल गवर्नमेंट महिला कॉलेज, करनाल  ...db

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