गुडग़ांव : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले स्टूडेंट्स को जल्द से जल्द किताबें मुहैया कराने के लिए शिक्षा विभाग ने पांच नई कंपनियों को किताबें छपवाने का टेंडर दिया है। टेंडर कंपनियों को 28 दिन के अंदर किताबें छापने का समय दिया गया है ताकि स्टूडेंट्स को जल्द से जल्द किताबें मिल सकें। शिक्षा निदेशालय ने यह कदम मुंबई कंपनी द्वारा सहयोग न किए जाने की वजह से लिया है। नई कंपनियों को काम सौंपने के साथ-साथ शिक्षा निदेशालय ने मुंबई की कंपनी को ब्लैक लिस्ट भी कर दिया है। मुंबई की कंपनी ने पांच महीने में केवल 5 फीसदी किताबें ही छापी थीं।
क्या है मामला :
सरकारी स्कूलों में इस साल समय पर किताबें पहुंचाने के लिए शिक्षा निदेशालय ने बोर्ड से जिम्मेवारी लेते हुए टेंडर निकाला और दो कंपनियों को किताबें छपवाने का काम दिया। मुंबई कंपनी द्वारा सहयोग न मिलने की वजह से तीसरी से लेकर 8वीं कक्षा की किताबें अभी तक स्कूलों में नहीं पहुंची है, जिसकी वजह से स्टूडेंट्स को दिक्कत उठानी पड़ रही है। बिना किताबें न तो स्टूडेंट्स को पाठ समझ में आ रहा है और न ही शिक्षक अच्छे से समझा पाते हैं। कई स्कूलों में तो शिक्षकों ने जैसे तैसे कर पुरानी किताबों का सहारा लिया है। सितंबर माह के अंत में स्टूडेंट्स की परीक्षाएं भी हैं।
3 से 8वीं कक्षा की मात्र पांच प्रतिशत किताबें प्रिंट :
शिक्षा निदेशालय से मिली जानकारी के मुताबिक इस साल किताबें छपवाने का काम दो कंपनियों को दिया गया था। इनमें से नोएडा की कंपनी को पहली से दूसरी और मुंबई की कंपनी को तीसरी से आठवीं कक्षा की किताबें छापने का काम दिया गया था। नोएडा की कंपनी ने तो अपना काम निर्धारित समय पर कर लिया और स्कूलों में पहली और दूसरी कक्षा की किताबें पहुंच गई हैं। मुंबई की कंपनी ने तीसरी से 8वीं कक्षा की अभी तक 5 प्रतिशत किताबें ही छापी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए शिक्षा निदेशालय को उक्त कदम उठाते हुए दोबारा टेंडर निकालना पड़ा।
एनसीआर की कंपनियों को सौंपा गया टेंडर :
शिक्षा निदेशालय ने मुख्यमंत्री से अनुमति लेते हुए मुंबई की कंपनी को ब्लैक लिस्ट किया और 3 अगस्त को टेंडर निकाला। 11 अगस्त तक टेंडर भरने की आखिरी तिथि रखी गई। 19 अगस्त को शिक्षा निदेशालय की टीम ने तकनीकी जांच की और 20 अगस्त को बैठक कर रेट लिस्ट डिसाइड की। कुल 12 कंपनियों ने अप्लाई किया था, जिसमें से 8 कंपनियों को शॉर्ट लिस्ट किया गया। इनमें पांच कंपनियों के साथ रेट तय हुआ और किताबों को छपवाने का काम दिया गया।
"पांच नई कंपनियों को किताबें छापने के लिए टेंडर दिया गया है। शर्त के अनुसार 28 दिन के अंदर-अंदर कंपनियां किताबें छापकर स्कूलों में पहुंचा दी जाएंगी। "--डी सुरेश, निदेशक, प्राथमिक शिक्षा निदेशालय, पंचकूला
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