**नहीं मिल रहे छात्र, 31 तक जारी रहेंगे दाखिले
रोहतक : हाल ही में ए ग्रेड विवि का दर्जा पाने वाली एमडीयू की ओर से चौथी बार काउंसिलिंग करने के बाद भी कुछ पाठ्यक्रमों में 18 फीसदी सीटें खाली रह गई हैं। पाठ्यक्रमों की ओर लगातार घटते रुझान को लेकर एमडीयू की चिंता गहराने लगी है। एमडीयू ने अब इस पर मंथन करना शुरू कर दिया गया है। यहां तक कि दाखिला नीति में भी बदलाव करने पर विचार किया जा रहा है।
अब शैक्षणिक परिषद के सदस्यों द्वारा 23 अगस्त को होने वाली बैठक में भी इस मुद्दे पर औपचारिक बातचीत करने का मन बनाया जा रहा है। एमडीयू को ए ग्रेड मिलने के बाद पहली बार ही ऑनलाइन दाखिला प्रणाली शुरू की गई। इस प्रणाली के चलते भी सिर्फ इंटरनेट जानने वाले विद्यार्थी ही रुझान दिखा पाए। इसे भी कोर्स में सीटें खाली रहने का बड़ा कारण माना जा रहा है। अब 31 अगस्त तक विलंब शुल्क के साथ दाखिला प्रक्रिया जारी रहेगी।
लोक प्रशासन में बढ़ाई 5 सीटें
वहीं, लोक प्रशासन विभाग के अध्यक्ष प्रो. एसएच चाहर का कहना है कि उनके कोर्स में रुझान को देखते हुए पहली बार 5 सीटें कुलपति एचएस चहल की ओर से बढ़ा दी गई है। इन सीटों पर दाखिले करना बाकी है। इसके लिए पहले से ही 10 आवेदन आ चुके हैं। इन्हें जल्द भर दिया जाएगा।
नीतियों पर करेंगे मंथन
"एमडीयू में पाठ्यक्रमों में सीटें न भरे जाने को लेकर पाठ्यक्रमों को पुनर्गठित किया जाएगा। इसके अलावा कुलपति के संज्ञान में मामला लाकर पाठ्यक्रमों व दाखिला नीति पर भी मंथन होगा। इसके बाद मंजूरी मिलने पर ही पाठ्यक्रमों में बदलाव संभव होगा। जहां तक कुछ कोर्स में अधिक सीटें खाली होने की बात है तो उनके प्रचार को भी बढ़ावा दिया जाएगा।"-- डॉ. रविंद्र विनायक, डीन, शैक्षणिक मामले, एमडीयू।
चौथी काउंसिलिंग के बाद सीटों की स्थिति
कोर्स सीटें निर्धारित खाली
एमए संगीत वोकल 15 10
एमए संगीत वाद्य 15 8
शारीरिक शिक्षा 50 4
लोक प्रशासन 2 साल 45 5
लोक प्रशासन 5 साल 30 2
फूड टेक्नोलॉजी 25 6
पर्यावरण विज्ञान 35 5
पॉपुलेशन स्टडीज 20 16
बायो इंफोर्मेटिक्स 20 4
बायोटेक्नोलॉजी 20 4
एमबीए बीई 60 8
एमबीए पांच साल 120 23
संस्थानों की अधिकता बड़ा कारण:
क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रहे प्राइवेट शिक्षण संस्थानों की अधिकता भी एमडीयू में छात्रों के घटते रुझान का बड़ा कारण साबित हो रही है। कम समय में डिग्री देने वाले संस्थान दाखिले के लिए बिना विद्यार्थियों को दौड़ाए उन्हें सभी सुविधा मुहैया करा देते हैं। इसके चलते भी विद्यार्थियों का रुझान इन संस्थानों की ओर अधिक देखा जा सकता है।
ये माने जा रहे कारण
*बाजार की जरूरत के अनुसार पाठ्यक्रम न होना
*ऑनलाइन प्रक्रिया में ग्रामीण क्षेत्र के छात्र पारंगत नहीं है।
*कोर्स की मार्केटिंग व प्रचार कम होना
*कॉलेजों में संगीत व फाइन आट्र्स कोर्स न होना।
*कुछ कोर्स की फीस अधिक होना। ..db
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