भिवानी : भले ही पहली से आठवीं तक बोर्ड परीक्षा का भूत बच्चों के सिर से उतर चुका है, मगर सरकारी स्कूलों में गुरुजी का शिष्यों को दिया शिक्षा मंत्र भी जवाब दे रहा है। आधे से अधिक शिक्षा सत्र बिना किताबों के ही बीत चुका है, ऐसे में मौखिक रूप से गुरुजी द्वारा बच्चों को सिखाए गए फार्मूलों को ध्यान में रख पाना भी मुश्किल हो रहा है। पाठयक्रम को दोहराने का काम भी विद्यार्थी बिना किताबों के ही कर रहे है। हालाकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कुछ बच्चों के हाथों तक तो पुरानी पुस्तकें थमाई है, मगर इन पुस्तकों से भी सीमित बच्चों का ज्ञान ही आगे बढ़ पा रहा है, हजारों की तादाद में बच्चे अब भी बिना पुस्तकों के ही इस शिक्षा सत्र को जैसे तैसे पूरा करने में अपने अध्ययन को धक्का लगा रहे है। हरियाणा स्कूली शिक्षा निदेशालय द्वारा कक्षा पहली से आठवीं तक सभी बच्चों को नि:शुल्क पाठयक्रम की पुस्तकें मुहैया करवाई जाती है।
पाचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा के भय से मुक्त किए अर्सा बीत चुका है, मगर स्कूली स्तर पर किए जाने वाले बौद्धिक आकलन में लगातार बच्चे पिछड़ते जा रहे है। शिक्षा विभाग की सालाना सर्वेक्षण रिपोर्ट में 60 से 70 फीसदी बच्चों के बौद्धिक आकलन में चौंकाने वाली बात सामने आई है कि इन बच्चों की कक्षा के स्टेटस के हिसाब से इनका बौद्धिक स्तर काफी नीचे गिर चुका है। विभागीय आकड़ों पर नजर डाले तो भिवानी जिला में करीब डेढ़ लाख विद्यार्थी कक्षा पहली से आठवीं तक सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत है। जिला के 1152 सरकारी स्कूलों में बच्चों के हाथों तक किताबें पहुचाने का अनुबंध आधार पर ही दिया जाता है, मगर इस बाद पुस्तकों के प्रकाशन का मामला खटाई में क्या पड़ा, पुस्तकों से महरूम विद्यार्थी अपने अध्ययन में ही पिछड़ने लगे। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की पीठ का बोझ भी हल्का हो गया है, मगर इस हल्के बोझ ने उनके दिमागी बोझ को जरूर बढ़ा दिया है। शिक्षक भी पुरानी किताबों के सहारे ही बच्चों की तैयारियों में जुटे है, क्योंकि फरवरी माह में ही सालाना तौर पर बच्चों के बौद्धिक आकलन की रिपोर्ट तैयार करने का दबाव भी उन पर बढ़ रहा है।
पुराने बुक बैंक से कराई जा रही बच्चों को तैयारी : डीईईओ
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सतबीर सिंह सिवाच ने बताया कि सभी सरकारी स्कूलों में शिक्षकों द्वारा बच्चों की नियमित रूप से तैयारी कराई जा रही है। वैसे तो पाठयक्रम की पुस्तकें समय पर स्कूलों में पहुचनी चाहिए थी, मगर फिर भी बच्चों की पढ़ाई किसी भी सूरत में बाधित नहीं होने दी जा रही है। पुराने बुक बैंक के सहारे ही विद्यार्थियों की सरकारी स्कूलों में पढ़ाई सुचारू रूप से संचालित की जा रही है।...dj at 6:12pm
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