गुडग़ांव : इस बार भी सर्दी में सरकारी स्कूलों के पहली से पांचवीं कक्षा के छात्रों को जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ सकती है। शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने ड्यूल डेस्क के लिए 100 करोड़ रुपए का बजट पास किया था, इसके बावजूद ये अब तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। जिले में 399 प्राइमरी स्कूल हैं। इनमें 80 प्रतिशत ऐसे स्कूल हैं, जिनमें बच्चों के बैठने के लिए ड्यूल डेस्क नहीं है। कई स्कूलों में तो बच्चों को बिना टाट-पïट्टी के जमीन पर बैठकर ही पढ़ाई करनी पड़ रही है।
डिमांड के बाद भी नहीं मिले डेस्क :
नाहरपुर रूपा के शिक्षक अशोक कुमार ने बताया कि स्कूलों में ड्यूल डेस्क के लिए डिमांड बनाकर भेजे 6 महीने से अधिक हो गया है, लेकिन अभी डेस्क नहीं मिले हैं। जिस समय ड्यूल डेस्क के लिए बजट पास हुआ था, उस समय पहली व दूसरी कक्षा के लिए बटरफ्लाई डेस्क व तीसरी से 8वीं कक्षा तक के लिए ड्यूल डेस्क कहा गया था। राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान तरुण सुहाग ने बताया कि जिले में कई स्कूलों में डेस्क तो दूर टाट-पïट्टी भी नहीं है। बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है।
बच्चे भी हैं दुखी
बच्चे भी स्कूल डेस्क न मिलने से परेशान हैं। छात्रों ने बताया कि स्कूल में कई घंटे नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है, जिसकी वजह से दिक्कत होती है। उधर गीता और नीतू ने बताया कि स्कूल में डेस्क नहीं होने से पढ़ाई में मन नहीं लगता।
35 प्रतिशत मिडल व हाई स्कूल में भी नहीं हैं डेस्क :
हाल में 6वीं से 8वीं कक्षा के स्टूडेंट्स के लिए ड्यूल डेस्क आए हैं। लेकिन अब भी 35 प्रतिशत 6वीं से 8वीं कक्षा तक के स्कूल ऐसे हैं, जिनमें ड्यूल डेस्क नहीं है।
सिविल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. उमेश मेहता कहते हैं कि जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करने से बैठने का पोस्चर सही नहीं रहता है, जिससे बच्चों को पीठ दर्द की समस्या हो सकती है। राजकीय अध्यापक संघ के राज्य सचिव सत्यनारायण यादव कहते हैं कि डेस्क न होने की वजह से बच्चे जमीन पर बैठने को मजबूर हैं। पिछले दिनों छठी से आठवीं कक्षा के स्टूडेंट्स के लिए डेस्क आए, लेकिन अभी छठी से आठवीं कक्षा के 35 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं, जिनमें डेस्क नहीं पहुंचे। db
सिविल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. उमेश मेहता कहते हैं कि जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करने से बैठने का पोस्चर सही नहीं रहता है, जिससे बच्चों को पीठ दर्द की समस्या हो सकती है। राजकीय अध्यापक संघ के राज्य सचिव सत्यनारायण यादव कहते हैं कि डेस्क न होने की वजह से बच्चे जमीन पर बैठने को मजबूर हैं। पिछले दिनों छठी से आठवीं कक्षा के स्टूडेंट्स के लिए डेस्क आए, लेकिन अभी छठी से आठवीं कक्षा के 35 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं, जिनमें डेस्क नहीं पहुंचे। db
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