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Saturday, 14 December 2013

पहल: शिक्षा में सुधार के लिए आम लोगों से मांगे सुझाव

** कई योजनाएं तोड़ रही है दम। सुझाव के लिए भर सकते हैं ऑनलाइन फार्म 
फरीदाबाद : शिक्षा विभाग को गतिशील बनाने एवं प्रदेश में शिक्षा विभाग को दुरुस्त करने के लिए अब आम लोगों से शिक्षा विभाग ने सुझाव मांगे हैं। यह सुझाव शिक्षा निदेशालय के वेबसाइट पर जाकर दे सकते हैं। प्रदेश सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए कई योजनाएं चलाई गई। इसमें कई दम तोड़ दी है। इसमें सेमेस्टर सिस्टम सहित अन्य कार्यक्रम शामिल है। इसे लेकर शिक्षाविदों की अलग-अलग राय है। सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले निजी स्कूलों के छात्रों के साथ कदमताल कर सकें। इसके लिए एजुसेट व डीटीएच जैसी योजनाएं शुरू की गई। सभी अब धूल फांक रही हैं। सुझाव मांगने का उद्देश्य प्रदेश की शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव लाना है। जिससे इसमें पढऩे वाले छात्र बेहतर कर सकें। 
सेमेस्टर सिस्टम पर उठती रही है अंगुली 
देश में हरियाणा पहला ऐसा राज्य हैं। जहां स्कूल में सेमेस्टर सिस्टम के तहत पढ़ाई होती है। इसे 2006 में बड़े जोर-शोर से लागू किया गया था। इसे लेकर हमेशा अंगुली उठती रही। शिक्षाविदों की राय है कि इससे परीक्षा की अहमियत घटी। छात्रों ने परीक्षा कोहल्के में लेना शुरू किया। सेमेस्टर सिस्टम के तहत दो भागों में सिलेबस में बांट कर पढ़ाया जाता है। 
समय पर नहीं मिलती है पुस्तकें 
प्रदेश में शिक्षा का अधिकार कानून लागू है। इसके तहत पहली से आठवीं तक मुफ्त पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। इसके अंत गर्त छात्रों को मुफ्त पुस्तक उपलब्ध कराई जाती है। कमाल की बात यह है कि हमेशा शैक्षणिक सत्र शुरू होने के दो तीन माह ही पुस्तक उपलब्ध हो पाती है। 2013 में तो सात माह के बाद पुस्तक स्कूलों में पहुंचा। ऐसे में पढ़ाई की व्यवस्था का सहज अंदाज लगा सकते हैं। 
यह भी रहा है फ्लॉप 
  • 5वीं में बोर्ड परीक्षा बंद 
  • 8वीं में बोर्ड परीक्षा बंद 
  • 10वीं की घरेलू परीक्षा 
  • एजुसेट की स्थिति दयनीय 
  • डीटीएच से पढ़ाई बंद 
  • लैब की स्थिति दयनीय 
  • स्कूलों को उद्यमियों द्वारा गोद लेना 

"सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई गई हैं। इससे शिक्षा पद्धति में बदलाव हुआ है। लोग सुझाव देंगे। इसे काफी मदद मिल सकती है। यह अच्छा प्रयास है।"--चतर सिंह, जिलाध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ 
"आगे बढऩे के लिए आइडिया होना जरूरी है। सुझाव मांगने में कोई बुराई नहीं है। इससे छात्रों को फायदा होगा। लोग बेहतर सुझाव दे सकते हैं। जिससे राज्य की शिक्षा बेहतर हो सके।"--सुशील कण्वा, पूर्व जिलाध्यक्ष, हसला 
देरी से परीक्षा परिणाम से होती है परेशानी 
शिक्षकों के आंदोलन, शिक्षा विभाग और हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के उदासीन रवैये की वजह से परीक्षा के दौरान कई तरह की परेशानी से जूझना पड़ता है। परीक्षा के उपरांत भी कॉपी जांचने को लेकर शिक्षक संगठन और बोर्ड आमने सामने हो जाते हैं। इसका असर परिणाम पर पड़ता है। परिणाम देर से आने पर शिक्षकों और छात्रों को सिलेबस संबंधित परेशानी होती है। पढ़ाई सुचारू रूप से शुरू होने में देरी होती है।                  db 




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