अम्बाला : एक सप्ताह पहले नौकरी पाए लेक्चरर्स अभी ढंग से खुशी भी नहीं मना पाए थे कि स्वास्थ्य विभाग की एक गलती ने उनकी सारी खुमारी उतार दी। गुरुवार शाम को उन्हें पता चला कि स्वास्थ्य विभाग ने लेक्चरर्स के जिस पद के लिए उनका मेडिकल किया है, वह गलत हुआ है। लेक्चरर्स के गेजेटिड पद के लिए नान गेजेटिड के हिसाब से मेडिकल कर दिया गया।
मेडिकल फीस तक गलत ली गई है। मामले का पटाक्षेप हुआ तो स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के भी हाथ-पांव फूल गए। आनन-फानन में शुक्रवार तड़के एक बार फिर मेडिकल की प्रक्रिया पूरी कराई गई। वहीं, स्वास्थ्य विभाग की इस गफलत से लेक्चरर्स की चक्करघिन्नी बनी रही। लेक्चरर्स सोचने पर मजबूर थे कि नौकरी पाने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग मानो उनका फिजिकल टेस्ट ले रहा था।
अस्पताल खुलने से पहले ही दूर-दराज के गांवों, नारायणगढ़ व कुरुक्षेत्र तक के लेक्चरर्स मेडिकल कराने के लिए कतार में खड़े हो गए थे। सिटी निवासी प्रीति, नारायणगढ़ के भूरेवाला निवासी राजेश, राजेंद्र का कहना था पिछले शनिवार को जब मेडिकल किया था, वे रात 10 बजे तक कतार में लगे रहे थे। पंजाबी लेक्चरर सम्राट, कैमिस्ट्री विषय की शीतल व पंजाबी विषय की रितू का कहना था कि विभाग की गलती से उन्हें परेशानी तो हुई ही है, आर्थिक हानि भी हुई है।
पीजीटी को जेबीटी समझा
लेक्चरर का पद पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) की श्रेणी में आता है जो गेजेटिड पोस्ट की श्रेणी में आता है। हालांकि, मेडिकल बोर्ड पीजीटी का मतलब नहीं समझ पाया। बोर्ड के इंचार्ज इसे जेबीटी का पद मानकर नान गेजेटिड की श्रेणी में मेडिकल करता गया। फीस 800 रुपए ली जानी थी लेकिन वह भी 100 रुपए ही ली गई। सभी लेक्चरर्स का मेडिकल कर दिया गया लेकिन गलती का एहसास तक नहीं हुआ।
गलती किसे पता चली
गलती सामने कैसे आई, इसके पीछे की कहानी भी रोचक है। सीएमओ विनोद गुप्ता व डिप्टी सीएमओ सुरेंद्र मोहन का कहना है कि उन्होंने गलती का पता लगते ही लेक्चरर्स को सूचना भेजकर पुन: मेडिकल के लिए बुलाया। वहीं, इन लेक्चरर्स का कहना था कि उन्हें अन्य जिलों से फीस के बारे में सच्चाई पता चली थी। उन्होंने खुद महकमे से संपर्क कर जानकारी दी।
फार्म व फीस नए सिरे से ली गई
स्वास्थ्य विभाग ने पहले मेडिकल के लिए नान गेजेटिड पद के हिसाब से फार्म भराया था। शुक्रवार को नए सिरे से गेजेटिड पोस्ट के हिसाब से फार्म भराया गया। इस लिहाज से फीस 800 रुपए बनती थी। लेकिन प्रत्येक माह पहले व तीसरे शुक्रवार को इसके लिए फीस 200 रुपए लगती है। शुक्रवार को पहुंचे 130 लेक्चरर्स को महज 100 रुपए देने पड़े। हालांकि, जिन लोगों ने गुरुवार को मेडिकल कराया था, उन्हें 800 रुपए के हिसाब से फीस अदा करनी पड़ी।
विभाग से चूक हुई है
"इस बारे में स्वास्थ्य विभाग से ही चूक हुई है। इसका पता ही नहीं चल पाया कि यह लेक्चरर का पद गेजेटिड की श्रेणी में आता है इसलिए फीस भी कम ली गई। हालांकि, पता चलने के बाद सभी लेक्चरर्स को सूचित किया गया। जाहिर है कि इससे लेक्चरर्स को परेशानी पेश आई है।"--डॉ. विनोद गुप्ता, सीएमओ।
शिक्षा विभाग की गलती नहीं
"इसमें शिक्षा विभाग की कोई गलती नहीं है, जो भी हुआ, वह स्वास्थ्य विभाग की गलती से हुआ। इस संबंध में डीसी केएम पांडुरंग ने शिक्षा विभाग व स्वास्थ्य विभाग की बैठक भी ली थी। पुन: कराया गया मेडिकल जमा किया जा रहा है।"--परमजीत शर्मा, डीईओ अम्बाला। db
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