फतेहाबाद : सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा हाशिये पर है। मौजूदा स्थिति ज्यादा समय तक रही तो कंप्यूटर शिक्षा अपने आप ही फेल हो जाएगी। स्कूलों में लाखों रुपये कीमत के कंप्यूटर हैं। जेनरेटर भी रखे हुए हैं, लेकिन शिक्षकों को वेतन नहीं मिल रहा। वेतन न मिलने के कारण कंप्यूटर शिक्षकों का डयूटी में रूझान खत्म होता जा रहा है। कंप्यूटरों की देखरेख करने वाले कई लैब सहायक अलविदा कह चुके हैं। अब कंप्यूटर शिक्षक नौकरी छोड़ने की चेतावनी दे रहे हैं। इस स्थिति में नए कंप्यूटर शिक्षकों का आना मुश्किल है।
सरकारी स्कूलों में 2003 में विधिवत रूप से कंप्यूटर शिक्षा शुरू हुई थी। विभाग ने निजी कंपनियों की मार्फत कंप्यूटर शिक्षा शुरू की थी। कंपनी की मार्फत ही शिक्षक नियुक्त किए गए। प्रत्येक हाई व सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कंप्यूटर लैब है। प्रत्येक लैब में एक शिक्षक व एक लैब सहायक नियुक्त किया गया था।
जिले में करीब 138 स्कूलों में कंप्यूटर लैब है, जिनमें 123 स्कूलों में ही कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति हो पाई थी। मौजूदा कंप्यूटर शिक्षकों को अगस्त 2013 में नियुक्त किया गया था। शिक्षकों को नौकरी लेने के लिए 24 हजार रुपये सिक्योरिटी के रूप में जमा करवाने पड़े थे। अब स्थिति ये है कि एक बार भी वेतन नहीं मिला। कंप्यूटर शिक्षक इस मकसद से पढ़ा रहे हैं कि किसी तरह बकाया वेतन व सिक्योरिटी राशि वापस हो जाए। वहीं लैब सहायक भी वेतन गंवाने के डर से नौकरी कर रहे हैं।
लैब सहायकों को वेतन का इंतजार :
प्रत्येक लैब में कंप्यूटरों की देखरेख के लिए लैब सहायक भी नियुक्त किए गए थे। इन कर्मचारियों को भी पिछले करीब 22 माह से वेतन का इंतजार है। यदि नौकरी छोड़ते हैं तो बकाया वेतन से हाथ धोना पड़ेगा। यदि नौकरी करते हैं तो भविष्य में वेतन मिलने की उम्मीद भी नहीं है। दोराहे पर खड़े हैं। कंप्यूटर शिक्षक यूनियन के जिला प्रधान बरबरिक ने बताया कि सरकार की नीति से दोहरा नुकसान हो रहा है। स्कूलों में शिक्षा के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इधर, शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है।
सरकार के स्तर का है मामला:
जिला शिक्षा अधिकारी आशा ग्रोवर को भी कंप्यूटर शिक्षक कई बार मिल चुके हैं। डीईओ का कहना है कि यह सरकार के स्तर का मसला है। इस संबंध में निदेशालय को अवगत कराया जा चुका है। dj
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