हरियाणा सरकार की ताजातरीन विज्ञप्ति से हरियाणा प्रदेश के शिक्षा की उत्तम डिग्री धारकों में निराशा आ गई है। हरियाणा लोकसेवा आयोग की ओर से कॉलेज कैडर के लिए निकाले गए 1396 पदों के लिए सरकार ने वांछित योग्यता केवल नेट और स्लेट को रखते हुए प्रदेश के उन होनहार डिग्रीधारकों को निराश किया है, जिन्होंने विभिन्न प्रकार के शोध करने के बाद डॉक्टरेट पीएचडी डिग्री हासिल की थी। पीएचडी डिग्रीधारक स्वयं को ठगा महसूस करते हुए कह रहे हैं कि सरकार ने उनके साथ भेदभाव किया है, क्योंकि यूजीसी की गाइड लाइन में पीएचडी डिग्री को प्राथमिकता देने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
इसे लेकर प्रदेश के पीएचडी डिग्री धारकों में रोष है। पीएचडी डिग्री धारक डॉ. भूप सिंह चौहान, डॉ. राजेश वधवा, डॉ. प्रवीण कुमार, डॉ. नरेश गुलिया, डॉ. हरीश, डॉ. रामचंद्र भारद्वाज, डॉ. राजेश ढुल, डॉ. रणधीर टाया व डॉ. भूपेंद्र सिंह ने सीधे मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि अब वे अपनी इस महत्वपूर्ण डिग्री को लेकर किसके पास जाएं और अब इसका उन्हें क्या लाभ मिलेगा। इसे लेकर डॉक्टरेट एसोसिएशन शीघ्र ही मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार को इस मसले से अवगत कराएगी।
खत्म हो जाएगा पीएचडी का महत्व : डॉ. राही
इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के पीएचडी डिग्रीधारक डॉ. जगदीश शर्मा राही ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की ग्रेडिंग करते हुए ये पूछा जाता है कि वहां कितना शोध कार्य हुआ और उसकी गुणवत्ता कैसी है, न कि ये पूछा जाता है कि उसके कितने बच्चे नेट क्वालिफाइड हैं। अत: डॉ. राही के अनुसार इस निर्णय से शोध कार्य प्रभावित होंगे। dbnrwn
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