.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

*** Supreme Court Dismissed SLP of 719 Guest Teachers of Haryana *** यूजीसी नहीं सीबीएसई आयोजित कराएगी नेट *** नौकरी या दाखिला, सत्यापित प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं *** डीडी पावर के लिए हाईकोर्ट पहुंचे मिडिल हेडमास्टर *** बच्चों को फेल न करने की पॉलिसी सही नहीं : शिक्षा मंत्री ***

Friday, 24 January 2014

आईएएस अफसरों से अधिक वेतन ले रहे एमसीडी के टीचर

नई दिल्ली : कहने को भले ही एमसीडी हो, लेकिन भ्रष्टाचार का आलम यह है कि एमसीडी स्कूलों के टीचर और प्रिसिंपल प्रांरभिक आईएएस अधिकारियों से भी अधिक, भारत सरकार के डिप्टी सेक्रेटरी के बराबर वेतन पा रहे हैं। उन्हें बैक डेट से मूल पे ग्रेड से अधिक अश्योर्ड कॅरियर प्रोबेशन (एसीपी) और मोडिफाइड अश्योर्ड कॅरियर प्रोबेशन (एमएसीपी) का लाभ देते हुए अधिक वेतन दिया जा रहा है। 
आईएएस अधिकारियों को भर्ती के समय 5400 पे ग्रेड मिलता है और सर्विस के 6 साल बाद 6600 रुपए का पे ग्रेड मिल पाता है। प्रगतिशील शिक्षक समाज ने आप सरकार से इस मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। प्रगतिशील शिक्षक समाज के महासचिव नरेश गर्ग का कहना है कि एमसीडी के प्राइमरी स्कूलों को मिलने वाली पे स्केल से प्रशासकीय ढांचा पूरी तरह से चरमरा गया है। इसका कारण है कि कोई भी प्राइमरी शिक्षक या हेडमास्टर इंस्पेक्टर बनने को तैयार नहीं है। इसका कारण है कि प्रमोशन के क्रम के अनुसार अध्यापक, प्रधानाध्यापक, इंस्पेक्टर है, लेकिन अध्यापक व प्रधानाध्यापक का पे ग्रेड स्केल 6600 का है जबकि इंस्पेक्टर का पे ग्रेड स्केल 5400 है। अध्यापक, प्रधानाध्यापक की डयूटी 5.30 घंटे इंस्पेक्टर की ड्यूटी 8 घंटे की होती है। स्कूल इंस्पेक्टर को नियम के अनुसार हर दिन एक स्कूल का विजिट करना चाहिए, लेकिन हालात यह है कि रोहिणी जोन के 70 स्कूलों के वेरिफिकेशन का जिम्मा 5 इंस्पेक्टरों पर है। 
शिक्षक समाज ने भास्कर में 23 जनवरी को 'सदन से अनुमति लिए बिना शिक्षकों को बांट दिए 100 करोड़' समाचार पर मुहर लगाते हुए कहा कि अधिकारियों द्वारा गोरखधंधे से निगम के खाते से 10, 20, 30 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले शिक्षकों को एरियर के नाम पर चार से 6 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। कमिश्नर को इस बारे में तुरंत विजलेंस जांच कर अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करते हुए शिक्षकों से दी गई रकम की रिकवरी करनी चाहिए। 
"बिना सदन की अनुमति किसी भी मद में खर्च करना अपराध है। यह सदन की अवमानना है। वे इस मसले को नेता सदन के संज्ञान में लाकर सदन में उठाएंगे। शिक्षकों को वेतन देने से अधिक आवश्यकता निगम स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों को समय पर वर्दी, जुराबें देने की आवश्यकता थी। यह मामला उनके संज्ञान में आया है, लेकिन वो बजट चर्चा में व्यस्त थे। इस मामले की सतर्कता शाखा से जांच होगी।"--रामकिशन बंशीवाल, अध्यक्ष, शिक्षा समिति, उत्तरी निगम                                         db

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.