करनाल : हरियाणा स्कूल शिक्षा नियमावली 2003 के अधिनियम 134ए के तहत विद्यार्थियों के दाखिलों को लेकर प्राइवेट स्कूल और सरकार में फिर टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। सरकार ने स्कूलों के लिए जो नए नियम जारी किए हैं, उनके तहत निजी स्कूलों ने नि:शुल्क दाखिलों पर कड़ी आपत्ति जताई है। बुधवार को प्रताप पब्लिक स्कूल में सीबीएसई स्कूल के संचालकों व प्रिंसिपलों ने बैठक में एकमत नई नीति का विरोध करने का फैसला लिया। विरोध स्वरूप गुरुवार को जिलेभर के स्कूल बंद रखते हुए सांकेतिक हड़ताल का ऐलान किया।
मीटिंग के बाद करनाल इंडिपेंडेंट्स स्कूल एसोसिएशन आरएस विर्क, ज्वाइंट सेक्रेट्री कुलजिंद्र एमएस बाठ, डॉ. राजन लांबा, अजय भाटिया, नवजोत सिंह वड़ैच, जसबीर सिंह गुलाटी, ब्रिगेडियर एनके भंडारी, ओपी चौधरी, एनएम रहेजा आदि ने कहा कि सरकार ने पिछले आंदोलन के बाद जो मांगे स्वीकारी थी उनको नकारा जा रहा था। सरकार ने मात्र बीपीएल परिवार के बच्चों को नए दाखिलों में 10 प्रतिशत दाखिलों का निर्णय लिया था। लेकिन अब सरकार बीपीएल के साथ इकॉनोमिकली वीकर सेक्शन (ईवीएस) को भी आरक्षण देने का आदेश भेज रही है, वह भी प्रत्येक कक्षा में।
दोहरी नीति अपना रही है सरकार :
स्कूल संचालकों ने कहा कि सरकार दोहरी नीति अपना रही है। अन्य स्कूलों में 10 प्रतिशत जबकि हुडा क्षेत्र में बने स्कूलों में 20 प्रतिशत दाखिले दिलाने का फरमान शिक्षा अधिकारियों को भेजा गया है।
उनके स्कूलों पर कमर्शियल प्रॉपटी टैक्स क्यों
स्कूल संचालकों ने इस बात पर भी ऐतराज जताया कि जब शिक्षण संस्थान चैरिटेबल ट्रस्ट में आते हैं तो उनसे कमर्शियल प्रॉपर्टी टैक्स क्यों लिया जा रहा है। जबकि पहले इनको टैक्स से मुक्त रखा गया था। सरकारी स्कूल और पब्लिक स्कूल दोनों का मकसद विद्यार्थियों को शिक्षा देना है। लाखों रुपए का प्रॉपर्टी टैक्स का बिल उनके स्कूलों के नाम भेज दिया गया है।
स्कूलों को दूर रखा जाए वोट की राजनीति से
स्कूल संचालकों ने कहा कि सरकार शिक्षण संस्थानों को वोट की राजनीति से दूर रखे। सरकार ने बीपीएल के साथ इकॉनामिकली वीकर सेक्शन (ईवीएस) को भी प्राइवेट स्कूलों में 10 प्रतिशत दाखिले देने के आदेश भेजे हैं। जबकि हुडा क्षेत्र में 20 प्रतिशत दाखिले देने की बात कह दी है। ईवीएस की बात करके सरकार वोट की राजनीति कर रही है। सरकार स्कूलों को वोट की राजनीति से दूर रखे।
हरियाणा में ही दो कानून क्यों लागू :
निजी स्कूल संचालकों ने कहा कि पूरे देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत गरीब तबके के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा का लाभ देने का प्रावधान किया हुआ है, लेकिन हरियाणा में आरटीई के अलावा धारा 134ए को भी लागू किया जा रहा है। ऐसे में एक ही विषय को लेकर हरियाणा में ही दो कानून क्यों है।
सरकार पैदा कर रही टकराव
सरकार ने नियम दिया है कि 50 किलोमीटर के दायरे में विद्यार्थी किसी भी स्कूल में दाखिला ले सकता है। इतना ही नहीं एक विद्यार्थी 25 स्कूलों में आवेदन दे सकता है। ऐसे में सरकार अभिभावकों व स्कूल प्रबंधन के बीच में टकराव का पैदा करना चाहती है। ऐसे में दाखिलों को लेकर भ्रम बना रहेगा।
बीपीएल को 10 प्रतिशत देने को तैयार :
स्कूल संचालकों ने कहा कि वे गरीब बच्चों की शिक्षा के हित में है। वे भी चाहते हैं कि गरीब बच्चों को भी अच्छी शिक्षा मिले। इसलिए वे नए दाखिलों में बीपीएल को 10 प्रतिशत दाखिले देने को तैयार हैं। db
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