नई दिल्ली : शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी आदेश का शिक्षक संगठनों ने विरोध जताया है। शिक्षकों का कहना है कि अधिकांश स्कूलों की हालत खराब है। इसके अलावा सरकार मेडिकल और वार्षिक छुट्टियां भी नहीं देती, ऐसे में सरकार का यह कदम अव्यवहारिक है।
"स्कूल में काम के घंटे बढ़ाने से पूर्व सुविधाओं का ध्यान रखा जाए। शिक्षा के अधिकार के तहत शिक्षकों की नियुक्तियां भी की जानी चाहिए।"--- डीके तनेजा, सचिव, अभिभावक शिक्षक संघ
"यह आदेश बगैर जमीनी हकीकत समङो दिया गया है। इसे जल्द वापस लिया जाना चाहिए, ऐसा नहीं होने पर शिक्षक आंदोलन करने को मजबूर होंगे।"--राजीव चौधरी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय शिक्षक संघ
"शिक्षा के अधिकार के तहत सरकार के संसाधनों की तरफ भी ध्यान देने की जरूरत है। सरकार को शिक्षकों के अधिकार व सुविधाओं के बारे में सोचना चाहिए।"--आरसी जैन, सदस्य, दिल्ली
"स्कूल शिक्षा सलाहकार बोर्डसरकार शिक्षकों पर काम के घंटों का बोझ लगातार बढ़ा रही है। यह शिक्षकों के साथ अन्याय है। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं।"--राजीव तनेजा, सचिव शिक्षक संगठन dj
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