छह माह का सिलेबस 3 माह में पूरा करने की चुनौती। कुछ इन्हीं हालातों के चलते महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी का सेमेस्टर सिस्टम एक बार फिर सवालों के घेरे में है। इस बार परिणाम की देरी व अन्य कारणों से सेमेस्टर महज 3 महीने में सिमट रह गया है। वहीं इसमें से भी 3 सप्ताह की तो छुट्टियां ही रहेंगी।
इसके अलावा एनएसएस शिविर, युवा महोत्सव व अन्य गतिविधियों पर लगने वाले समय पर गौर की जाए तो विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए महज 2 महीने का समय भी बमुश्किल बच पाएगा। लिहाजा शिक्षकों के लिए सिलेबस को पूरा कराना ही बड़ी चुनौती साबित होगा।
कॉलेजों में पिछले सत्र के परिणाम 9 जनवरी तक घोषित किए गए। इसके बाद 20 जनवरी से कॉलेजों में द्वितीय सेमेस्टर की कक्षाएं शुरू हुई। कक्षाओं को शुरू हुए अभी एक महीना ही बीता है कि विद्यार्थियों को परीक्षाओं की चिंता सताने लगी है। अगले माह विभिन्न विषयों के प्रैक्टीकल तथा 20 मार्च से री-अपीयर की परीक्षाएं शुरू होनी हैं। इन सबके बीच 20 अप्रैल के बाद विद्यार्थियों के फाइनल परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। लिहाजा जहां कम से कम 5 महीने पढ़ाई के लिए मिलने चाहिए, उसके लिए 3 महीने भी पूरी तरह विद्यार्थियों को नहीं मिल पाएंगे।
वार्षिक सत्र ही बेहतर
अहीर कालेज प्राचार्य डॉ. ओएस यादव व पीकेएसडी कालेज कनीना के डॉ. राजेश बंसल का कहना है कि सेमेस्टर सिस्टम के कारण प्रतिवर्ष दो बार परीक्षाएं होती हैं, यानि दो महीने केवल परीक्षाओं में लग जाते हैं। इसके बाद परीक्षा से 15 दिन पहले तथा 15 दिन बाद तक विद्यार्थियों की उपस्थिति नाम मात्र रहती ही रहती है। इसके अलावा कालेजों के एनएसएस कैंप, एनसीसी कार्यक्रम, एनुअल फंक्शन, यूथ फेस्टिवल, एथलेटिक्स मीट, साइंस एग्जीबिशन, सेमिनार के अलावा 26 जनवरी व 15 अगस्त कार्यक्रमों व गतिविधियों के कारण सेमेस्टर बिल्कुल छोटे हो जाते हैं। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई काफी प्रभावित होती है। इसलिए सेमेस्टर सिस्टम को खत्म कर वार्षिक सिस्टम लागू करना बेहतर साबित होगा।
सिलेबस पूरा कराने के निर्देश: रजिस्ट्रार
एमडीयू के रजिस्ट्रार डा. सतपाल वत्स ने कहा कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए कक्षाओं के साथ अन्य गतिविधियां भी जरूरी हैं। पढ़ाई प्रभावित ना हो इसके लिए कॉलेजों को सिलेबस समय पर पूरा कराने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रैक्टिकल परीक्षाओं में भी बना दोहरा मापदंड
2010 में सेमेस्टर सिस्टम के लागू होने के समय प्रैक्टिकल में भी इसे लागू किया गया था। इसके बाद 2012 में प्रैक्टिकल से सेमेस्टर सिस्टम को खत्म कर दिया गया। इससे विभिन्न कक्षाओं के लिए इस दोहरा मापदंड बना हुआ है। जिन विद्यार्थियों ने वर्ष 2010 से 2012 के बीच कालेजों में दाखिला लिया उनकी प्रैक्टिकल साल में दो बार ही चल रही है। यानि इस बार जो अंतिम वर्ष की कक्षाएं हैं, वे एक बार प्रैक्टिकल परीक्षाएं दे चुकी हैं तथा मार्च में दूसरी बार पै्रक्टिकल होंगी। जबकि प्रथम व द्वितीय वर्ष की कक्षाओं की साल में एक ही बार प्रैक्टिकल परीक्षाएं होंगी।
इस दौरान 13 रविवार व 9 घोषित अवकाश
इस सत्र में पढ़ाई कितनी प्रभावित हुई, इसका अंदाजा छुट्टियों पर गौर कर सहज ही लगाया जा सकता है। 20 जनवरी से कक्षाओं के शुरू होने के बाद 20 अप्रैल तक के परीक्षा समय के बीच 13 रविवार आते हैं। इसके अलावा 9 सरकार द्वारा घोषित छुट्टी हैं। यानि 3 तीन सप्ताह का समय छुट्टियों में बीतेगा। इसके अलावा सभी कालेजों को 7 दिवसीय एनएसएस कैंप भी अनिवार्य रूप से लगाना है। इनमें विद्यार्थियों की संख्या बेशक कम रहेगी, लेकिन 2 शिक्षक भी इंचार्ज के रूप में शिविर में शामिल होने के कारण कालेज की कक्षाएं प्रभावित होंगी। dbrwd
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