सिरसा : चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी (सीडीएलयू) के लॉ डिपार्टमेंट में नियमों के अनुसार पर्याप्त स्टाफ सदस्य और ढांचागत सुविधाएं नहीं हैं। इसलिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) ने लॉ डिपार्टमेंट को मान्यता देने से मना किया है। यह खुलासा सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में हुआ है। अब सीडीएलयू के लॉ विभाग के विद्यार्थी प्रदर्शन की तैयारी में हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार काउंसिल की ओर से सीडीएलयू प्रशासन व लॉ विभाग के हेड को पत्र लिखकर भी वर्ष 2010-11 के सत्र से एलएलबी के तीन वर्षीय अथवा पंचवर्षीय कोर्स में किसी भी छात्र या छात्र को प्रवेश देने के लिए मना कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद सीडीएलयू प्रशासन द्वारा न केवल 2010-11 के सत्र में लॉ कोर्स में विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया, बल्कि सत्र 2011-12, 2012-13 व 2013-14 में भी इस कोर्स में प्रवेश देकर पढ़ाई कराई जा रही है। सीडीएलयू में एलएलबी तीन व पांच वर्षीय कोर्स को मान्यता न होने के कारण यहां से कोर्स पूरा कर कौंसिल में अधिवक्ता के तौर पर खुद को स्थापित करने के लिए एनरोलमेंट का आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों के आवेदन भी कौंसिल द्वारा रिजेक्ट किए जा रहे हैं।
दौरा कर चुकी है बीसीआइ की टीम
बताया जा रहा है कि काउंसिल की एक टीम ने यूनिवर्सिटी का दौरा कर लॉ विभाग का निरीक्षण भी किया, लेकिन नियमानुसार यूनिवर्सिटी के लिए लॉ विभाग में कमी के कारण इसे मान्यता नहीं दी गई। 8 अक्टूबर 2013 को आई टीम ने सीडीएलयू प्रशासन के साथ मीटिंग भी की। बीसीआइ के नियम 17 के अनुच्छेद 3 के अनुसार लॉ विभाग को मान्यता तभी दी जा सकती है, जब विभाग में कम से कम 10 प्राध्यापक हों, लेकिन सीडीएलयू के लॉ विभाग में मात्र चार ही प्राध्यापक नियुक्त थे। इस बैठक में 2012-13 के सेशन के पासआउट विद्यार्थियों के एनरोलमेंट न होने जैसे गंभीर विषय पर भी बातचीत हुई। टीम सदस्यों ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक स्टाफ की कमी को पूरा नहीं किया जाता तब तक मान्यता नहीं दी जा सकती।
बात करने से बचते रहे अधिकारी
इस संबंध में सीडीएलयू के अधिकारियों से सपंर्क करने का प्रयास किया गया तो अधिकारी बात करने से बचते नजर आए। शुक्रवार और शनिवार को अधिकारी अपने कार्यालय में उपस्थित नहीं मिले, जबकि रविवार को वीसी और रजिस्ट्रार ने फोन रिसीव नहीं किया।
‘हमें नहीं पता था कि सीडीएलयू के लॉ डिपार्टमेंट के पास बीसीआइ की मान्यता नहीं है। गलतफहमी के चक्कर में मैंने दाखिला ले लिया। इस संबंध में विद्यार्थी वीसी से मिले थे और उन्होंने जल्द मान्यता दिलाने का विश्वास दिलाया है। यदि शीघ्र मान्यता नहीं मिली तो विद्यार्थी प्रदर्शन करेंगे।’--अमन, विद्यार्थी, लॉ डिपार्टमेंट
‘जब हमने दाखिला लिया तो हमें जानकारी नहीं थी कि सीडीएलयू के विभाग के पास मान्यता नहीं है। मैं यहां से पास होकर चला गया। जब मान्यता के लिए अप्लाई किया तो पता चला कि मेरी डिग्री बेकार है। सीडीएलयू को पहले बताना चाहिए कि इनके पास मान्यता नहीं है। स्पष्ट है कि यह सब विद्यार्थियों के साथ धोखा है।’--सुरेंद्र, सीडीएलयू से पास आउट dj
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