शिक्षा विभाग की पदोन्नति पॉलिसी में बदलाव करना शिक्षकों पर भारी पड़ रहा है। पहले पदोन्नति के लिए आवेदन मांगने पर शिक्षकों की फाइल बीईओ, डीईओ के माध्यम से निदेशालय पहुंचती थी। शिक्षकों को सिर्फ बीईओ कार्यालय तक जाना पड़ता था। अब अधिसूचना के अनुसार पदोन्नति के इच्छुक शिक्षकों को नोडल अफसर पंचकूला के कार्यालय में जाकर आवेदन करना होगा। शिक्षा विभाग ने पदोन्नति पॉलिसी में बदलाव कर सभी मास्टरों, टीजीटी, जीपीटी से नोडल अफसर के पास आवेदन करने के निर्देश दिए हैं। इतना ही नहीं संबंधित विषय में 50 प्रतिशत अंकों के साथ परास्नातक को भी जस का तस रखा गया है। इस बदलाव के कारण शिक्षकों को सीधे पंचकूला कार्यालय जाकर आवेदन करना होगा।
हजारों शिक्षक होंगे प्रभावित
शिक्षा विभाग के इन निर्देशाें के बाद प्रदेश के पांच हजार से अधिक शिक्षकों को पंचकूला कार्यालय तक का सफर तय करना होगा। शिक्षा विभाग आवेदन आने के बाद स्वयं संबंधित जिला शिक्षा विभाग से शिक्षकाें का रिकार्ड, पर्सनल फाइल, एसीआर आदि लेगा।
पढ़ाने वाले विषय में एमए की शर्त कायमः
वर्ष 2012 में शिक्षा विभाग ने नियम बनाया था कि पदोन्नति के लिए जिस विषय को शिक्षक पढ़ा रहा है, उसी में 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातकोत्तर होना चाहिए। अनेक मास्टर या टीजीटी ऐसे हैं जो अंग्रेजी, हिंदी या अन्य विषय पढ़ा रहे हैं जबकि उनकी स्नातकोत्तर अन्य विषय में है। ऐसे में वे आवेदन नहीं कर पाएंगे। अनेक शिक्षक संघ इसका विरोध कर रहे हैं मगर शिक्षा विभाग ने विषय की शर्त को जस की तस कायम रखा है।
इन विषयों के मांगे आवेदनः
शिक्षा विभाग में बायोलॉजी, इकोनोमिक्स, इंग्लिश, फाइन आर्ट, ज्योग्राफी, हिंदी, हिस्ट्री, होम साइंस, मैथ, म्यूजिक, फिजिकल एजूकेशन, फिजिक्स, पॉलिटिकल साइंस, साइकोलॉजी, पंजाबी, संस्कृत, उर्दू विषय के मास्टरों और शिक्षकाें से लेक्चरर पद पर पदोन्नति के लिए आवेदन मांगे हैं।
इस संबंध में जयवीर नाफरिया, प्रदेश प्रवक्ता हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ ने कहा कि
प्राध्यापक पद पर पदोन्नति में पढ़ाने वाले विषय में एमए की शर्त को हटाना चाहिए। यह 2012 से लागू है। उससे पहले यह शर्त नहीं थी। aubwn
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