चंडीगढ़ : लंबे गतिरोध के बाद प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग पर सहमति जता दी। उसने विभिन्न विभागों में कार्यरत अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने का फैसला किया है।
हरियाणा कर्मचारी तालमेल कमेटी के साथ बुधवार को हरियाणा सचिवालय में हुई दो दौर की वार्ता में मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा स्वयं शामिल रहे। साढ़े तीन बजे शुरू हुई वार्ता एक बार तो साढ़े पांच बजे टूट गई। सरकार ने अंतिम फैसला कमेटी पर छोड़ दिया, चूंकि अधिकांश मांगों पर सैद्धांतिक सहमति बन रही थी, लेकिन कुछ मांगों पर गतिरोध बरकरार था। बात बिगड़ती देख उप प्रधान सचिव आरएस दून ने मध्यस्थता की और कर्मचारी नेताओं को दूसरे दौर की वार्ता के लिए बुलाया। छह बजे शुरू हुई सेकेंड राउंड की बातचीत में अनेक मांगें मानी गईं।
28 फरवरी 2013 तक तीन वर्ष की सेवा पूरी कर चुके सभी पार्ट टाइम, डेली वेजिज, अनुबंध, तदर्थ, वर्कचार्ज आधार पर लगे कर्मचारियांे को पंजाब सरकार की नियमितीकरण नीति के तहत पक्का किया जाएगा। इसमें 1993 से लेकर 2003 तक हरियाणा में लागू नियमितीकरण नीति के तहत पक्का होने से वंचित रह गए कर्मचारी भी शामिल किए जाएंगे। इससे हजारों कर्मचारियों के पक्का होने की उम्मीद है।
इन मांगों पर बनी सहमति
- कैशलेस मेडिकल सुविधा मिलेगी
- न्यूनतम मजदूरी पाने वाले कर्मचारियों का ईपीएफ व ईएसआइ अलग से कटेगा
- ग्रेड पे में बढ़ोतरी होगी, एश्योर्ड करियर प्रोग्रेसन स्कीम के तहत लाभ की समय सीमा 10-20-30 वर्ष के बजाए 8-16-24 की गई1ल्ल अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारियों को समान काम, समान वेतन मिलेगा।
- तकनीकी पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को दिए गए तकनीकी स्केल की नहीं रिकवरी होगी।
- हड़ताल के दौरान कर्मचारियों पर दर्ज केस वापस होंगे, सर्विस भी ब्रेक नहीं होगी
- अनुबंध पर कार्यरत महिला कर्मियों को नियमित कर्मचारियों के समान सभी लाभ मिलेंगे।
"कई मांगों पर सैद्धांतिक रूप से सहमति बनी है। कुछ मामलों में कानूनी राय ली जा रही है। स्कूलों में कार्यरत कंप्यूटर अध्यापकों को वेतन देने के आदेश दे दिए गए हैं।"--भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मुख्यमंत्री dj
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