** छात्रों को कहे जातिसूचक शब्द, रिकॉर्ड से भी छेड़छाड़ आरटीआई में हुआ खुलासा
रोहतक : राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, टिटौली की प्राचार्या पर छात्रों को जातिसूचक शब्द कहने, आॢथक अनियमितताएं बरतने व रिकॉर्ड में छेड़छाड़ करने के आरोप शिक्षा विभाग की जांच में साबित होने के बावजूद उन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, जबकि उच्च अधिकारियों ने पिछले साल एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। उधर, प्राचार्या का कहना है कि उन पर आरोप लगाने वाला उन्हीं के स्कूल का सेवानिवृत लेक्चरर जीत सिंह राठी है। वह उन पर अपनी सेवानिवृत को देरी से करने का दबाव बना रहा था और जब ऐसा नहीं हुआ तो साजिश के तहत उसने यह सब किया है। वहीं, अब राठी उन्हें धमकी देने के साथ 50 हजार रुपए देने की भी मांग कर रहा है।
हाईकोर्ट में लगाएंगे याचिका
शिकायतकर्ता कृपाल नगर निवासी जीत सिंह ने बताया कि उक्त प्राचार्या के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई के लिए पिछले साल 30 अक्टूबर को सेकेंडरी शिक्षा विभाग के निदेशक को पत्र लिखा था तो उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी को एक सप्ताह का समय दिया था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब जल्द कार्रवाई के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाएंगे।
सोमवार को मामले की करेंगे जांच
"इस मामले को लेकर अभी उनके पास कोई कार्रवाई रिपोर्ट नहीं आई हैं, लेकिन सोमवार को अपने स्तर पर जांच जरूर करेंगे।"---भीम सिंह भारद्वाज, उप जिला शिक्षा अधिकारी
कार्रवाई रिपोर्ट नहीं आई सामने
"उन्हें लाखनमाजरा ब्लॉक की जिम्मेदारी संभालते हुए दो साल होने वाले है, लेकिन टिटौली स्कूल की प्राचार्या के खिलाफ कार्रवाई से संबंधित रिपोर्ट अभी उनके पास नहीं आई हैं। इस मामले में आला अधिकारी ही कुछ बता सकते है।"--सुनीता, खंड शिक्षा अधिकारी, लाखनमाजरा।
विभाग की जांच में ये आरोप हुए पुख्ता db
- प्राचार्या ने जांच टीम के सामने न केवल छात्रों को बल्कि टीम को भी जातिसूचक शब्दों से सम्बोधित किया
- मिड डे मील का स्टॉक बैलेंस रोजाना निकालना चाहिए, जबकि माह के अंत में यह बैलेंस निकाला गया।
- 10वीं कक्षा के हाजिरी रजिस्टर में से दाखिला नंबर, हाजिरी का कुल जोड़ व कार्यभार अध्यापक के हस्ताक्षर नहीं थे। वहीं, शिक्षकों के भी हाजिरी रजिस्टर में कमी थी।
- विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमसी) का रजिस्टर भी दुरुस्त नहीं था, उसमें एसएमसी सदस्य के हस्ताक्षर नहीं थे।
- मूवमेंट रजिस्टर में से फटे हुए पेज दर्शाते हैं कि गलत तो होता रहता है। यहां तक कि विद्यार्थियों के अभिभावकों से भी सीधा संपर्क नहीं था। db
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