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Wednesday, 5 February 2014

अध्यापकों ने की सरकारी नीतियों की कड़ी आलोचना

बहादुरगढ़ : हरियाणा राजकीय अध्यापक कल्याण संघ की बैठक में एक बार फिर सरकारी नीतियों की कड़ी आलोचना की गई। अध्यापकों ने कई मांगे उठाई और सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए। 
अध्यापक संघ के जिला प्रधान जगदीश सहरावत की अध्यक्षता में देवी लाल पार्क में हुई बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई। सहरावत ने कहा कि मौलिक स्कूल मुख्य अध्यापकों को उच्च विद्यालय के मुख्य अध्यापक के समान ही वेतनमान दिया जाए। मौलिक मुख्य अध्यापक के पद पर पदोन्नत होने वाले अध्यापक आरक्षित श्रेणी को छोड़कर पहले से ही पुराने ग्रेड पे पर काम कर रहे हैं उन्हें पदोन्नति से एक पैसे का भी लाभ नहीं हुआ है। इस तरह के मुख्य अध्यापकों को उच्च दायित्व की अतिरिक्त वेतन वृद्धि दी जाए। इसी तरह स्कूल प्राध्यापक और मौलिक मुख्य अध्यापक एक ही वेतनमान में कार्य कर रहे हैं। प्राध्यापकों को तो द्वितीय श्रेणी में राजपत्रित घोषित किया गया है तथा मौलिक स्कूल मुख्य अध्यापकों को तृतीय श्रेणी में नियुक्त किया गया है। एक ही विभाग और समान वेतनमान होने के बावजूद भेदभाव किया जा रहा है। मौलिक मुख्य अध्यापकों को तुरंत राजपत्रित घोषित किया जाए और आहरण वितरण शक्तियां दी जाएं। संगठन के राज्य कार्यकारिणी सदस्य ईश्वर सिंह ने सरकार की सेवा निवृत्ति नीति की आलोचना करते हुए दिल्ली की तर्ज पर सेवा निवृत्ति की आयु 60 वर्ष करने तथा उसके पश्चात 65 वर्ष की आयु तक सेवा विस्तार देने की मांग की। प्रदेश में चतुर्थ श्रेणी व विकलांग कर्मचारियों की सेवा निवृत्ति की आयु 60 वर्ष है। आंगनबाड़ी कर्मचारियों की आयु बढ़ाकर 65 वर्ष की गई है। औद्योगिक क्षेत्र के कर्मियों की भी 60 वर्ष है लेकिन अध्यापकों की आयु 55 वर्ष है। तीन वर्ष का सेवा विस्तार भी शर्त पूरी करने पर मिलता है। बैठक में राजीव शर्मा, जितेंद्र, सुरेंद्र अहलावत, करतार खत्री, सुरेंद्र लोहचब, राजकुमार, इंद्र सिंह, सतबीर शर्मा, दलजीत सिंह, बिजेंद्र सिंह, राकेश राठी, राजपाल, ओमप्रकाश, दर्शना देवी, संतोष कुमारी, उषा रानी, यशेंद्र, रूपेंद्र व अशोक ने भी विचार रखे।                                   dj

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