करनाल : शहर के प्रेम नगर क्षेत्र के एक राजकीय उच्च विद्यालय ने सरकारी रिकार्ड और सर्वशिक्षा अभियान के तहत स्कूल की मिलीं पुस्तकें कबाड़ी को बेच दी। बेची गई किताबों में वर्ष 2012 संस्करण की पुस्तकें भी शामिल हैं। दूसरी ओर इस मामले में स्कूल प्रबंधन के अनुसार, यह कार्य कमेटी बनाने के बाद किया गया है, जो कतई भी गलत नहीं है। उधर, सर्वशिक्षा अभियान के डीपीसी का कहना है कि इस मामले में जानकारी हासिल की जाएगी। जांच में कोई भी दोषी पाया गया तो कार्रवाई होगी। प्रेमनगर क्षेत्र के राजकीय स्कूल का कुछ सरकारी रिकार्ड और कुछ किताबें क्षेत्र के ही एक कबाड़ी को बेचे गए हैं।
करीब ढाई से तीन क्विंटल माल कबाड़ी की दुकान में बेचा गया। बेची गई किताबों में आठवीं कक्षा की वर्ष 2012 के संस्करण की हिंदी कार्य पुस्तिका भी शामिल है। इसके अलावा भी अन्य कई पुस्तकें ऐसी बताई जा रही है, जो आउट ऑफ सलेबस नहीं हैं। सर्व शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों में किताबें भेजी जाती हैं। किताबें स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या के मुताबिक भेजी जाती हैं। भले ही किताबें बेहद पुरानी हा, लेकिन उन्हें बेचा नहीं जाता है। इसलिए ऐसा लग रहा है कि स्कूल में बच्चों को पुस्तकें वितरित नहीं की जाती हैं। दूसरी ओर यह माना जाता है पुस्तकों को रद्दी में बेचने के बजाये उपयोग में लाया जा सकता था। मां सरस्वती की पूजा के अगले दिन ही पुस्तकें बेचने का काम किया गया है।
वहीं, सर्वशिक्षा अभियान के डीपीसी ओमपाल ने बताया कि कई बार पुस्तक विक्रेता आर्डर से अधिक पुस्तकें स्कूलों में डाल जाते हैं। उन्हें जब बताया गया कि कोई भी व्यक्ति जिसे पैसे लेने हैं, वे ऑर्डर से अधिक सामान नहीं डाल सकता, लेकिन इसके बावजूद ओमपाल ने कहा कि नहीं पुस्तक विक्रेता ऐसा कर देता है। साथ ही कहा कि स्कूल के मुख्याध्यापक किताबों को बेच नहीं सकते। बेचनी भी नहीं चाहिए। मामला संज्ञान में आया है। जानकारी हासिल की जाएगी। जांच में कुछ गलत मिला तो कार्रवाई भी होगी। au
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