चंडीगढ़ : प्रदेश के सरकारी हाई स्कूलों में तैनात वरिष्ठ शिक्षक विभाग की अव्यावहारिक नीति का शिकार हो गए हैं। विभाग ने नौ सौ से अधिक मिडिल स्कूल हेडमास्टर को तो पदोन्नत कर हाई स्कूल मुख्याध्यापक बना दिया, लेकिन प्रोन्नति की बाट जोह रहे वरिष्ठ शिक्षकों की सुध नहीं ली। इसका खमियाजा शिक्षकों को लंबे इंतजार के रूप में भुगतना पड़ेगा।
अगर शिक्षा विभाग वरिष्ठता सूची तैयार कर हेडमास्टर के पद पर पदोन्नति करता तो प्रदेश के एक हजार से अधिक वरिष्ठ शिक्षक भी हाई स्कूल मुख्याध्यापक के पद पर नियुक्ति पा लेते। लेकिन विभाग ने बिना सूची बनाए ही मिडिल स्कूल हेडमास्टर को प्रोन्नत कर दिया। विभाग की नीति से वरिष्ठ शिक्षक ठगा महसूस कर रहे हैं। चूंकि नौ सौ से अधिक पद हाई स्कूल मुख्याध्यापकों के पदोन्नति प्रक्रिया से भरे गए हैं। यदि वरिष्ठता सूची बनती तो लगभग बारह सौ वरिष्ठ शिक्षकों में से नौ सौ इन पदों पर काबिज हो जाते। वरिष्ठ शिक्षकों को मलाल यह है कि जो मिडिल स्कूल हेडमास्टर अब हाई स्कूल मुख्याध्यापक के पद पर तैनात हुए हैं, वे 1997 में नियुक्त हुए हैं। जबकि वरिष्ठ शिक्षकों की नियुक्तियां 1993-94 में हुई हैं। नियमानुसार अगर प्रमोशन होती तो इनका नंबर पहले आना था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश मलिक का कहना है कि अब भी काफी पद हाई स्कूल हेडमास्टर के खाली पड़े हैं। dj
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