सात साल बाद मास्टर वर्ग की पदोन्नति का रास्ता खुला था, मगर विभाग ने मास्टर डिग्री पर कंडीशन लगाकर उनके आगे बढऩे का रास्ता रोक दिया है। मास्टर वर्ग का कहना है कि विभाग उनकी पदोन्नति पर नई शर्तें लगाकर उनके कॅरिअर के साथ खिलवाड़ कर रहा है, जिसे वह किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। विभाग इन शर्तों का वापस नहीं लेता, तो मजबूरन उन्हें आंदोलन का सहारा लेना पड़ेगा। शिक्षा विभाग ने टीजीटी से पीजीटी पदों पर पदोन्नतियों के लिए मास्टरों से केस मांगें हैं। सात साल से मास्टरों की प्रमोशन नहीं हुई है, जबकि विभाग तीन बार उनसे केस मांग चुका है। विभाग ने एक बार फिर उनसे केस मांगे हैं। विभाग ने जब केस मांगे, तो मास्टर वर्ग में एक उम्मीद जगी कि शायद इस बार उनकी प्रमोशन हो जाएगी। मगर विभाग की ओर से लगाई गई नई शर्तों को देखकर उनकी यह उम्मीद खत्म हो गई। मास्टरों के मुताबिक ज्यादातर शिक्षकों ने अन्य विषयों में मास्टर डिग्री की हुई है, मगर विभाग ने यह शर्त लगा दी कि वहीं शिक्षक पदोन्नति ले सकेंगे, जिन्होंने अपने ही विषय में मास्टर डिग्री की हुई है।
उधर, शिक्षकों का कहना है कि पहले यह सब्जेक्ट सिर्फ गिने चुने कॉलेजों में ही होता था, तो विभाग की यह शर्त भी गलत है।
80 फीसदी को नहीं मिलेगा फायदा
मास्टर वर्ग एसोसिएशन का कहना है कि विभाग ने जो शर्तें लगाई हैं, उन शर्तों के कारण सिर्फ 10 से 20 फीसदी शिक्षक ही इस फायदा उठा सकेंगे। एसोसिएशन के जिला प्रधान विरेंद्र बडाला ने बताया कि विभाग ने ये शर्तें लगाकर उनके साथ मजाक किया है। वह इसे कतई सहन नहीं करेंगे। अगर विभाग इन शर्तों को वापस नहीं लेता है, तो वह धरना प्रदर्शन करने पर मजबूर होंगे। dbhsr
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